
आजकल प्रसव पूर्व जांच की नई-नई तकनीकों के प्रचलन में आने से नित्य प्रति कन्या भ्रूण की हत्याएं हो रही हैं, जिस कारण बालिकाओं की संख्या बालकों के मुकाबले में बहुत ही पिछड़ गई है। इसी से द्रवित होकर बिश्नोई रत्नचौधरी भजनलाल ने अपने शासन काल में घर में कन्याओं के मान सम्मान में वृद्धि करने के लिए महात्मा गाँधी की 125वीं जयन्ती के अवसर पर 2 अक्तूबर, 1994 को एक बहुत ही आकर्षक नई योजना अपनी बेटी-अपना धन का शुभारम्भ किया, इससे महिलाओं का मान बढ़ा है।
इसी प्रकार जनकल्याण की अन्य अनेक योजनाएं भी बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल जी ने अपने शासन काल में हरियाणा में शुरू की, जो आज भी पूर्णत: प्रासांगिक और समयानुकूल है। वे गरीबों एवं दीनदुःखियों के मसीहा थे। नित्य प्रति चाहे आधी रात का समय क्यों न रहा हो वे आम लोगों से बिना मिले नहीं रहते थे। कभी सदियों बाद निकलता है ऐसा सूरज। ऐसे ही अगले सूरज की आशा के साथ।






