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डा. सोनाराम बिश्नोई
41 बी, 9र्वी ई-रोड, सरदारपुरा, जोधपुर
बिश्नोई समाज के आदित्य के अस्त होते ही अंधकार छा गया है। उदासी, अवसाद और निराशा का अंधकार, क्योंकि उत्साह, आशा और प्रकाश के पुंज चौधरी भजनलाल जी हमारे बीच नहीं रहे। रह गई केवल उनकी ओब्लू (स्मृति) एवं उनका धवल उज्ज्वल यश तथा नाम। प्रात: स्मरणीय, परमपूज्य, स्वर्गीय श्री भजनलाल जी की स्मृतियों की सरिताओं में बहकर उनके प्रति श्रद्धा व शोक के असीम सागर में डूबे हुए मुझ अकिञ्चन के मन मस्तिष्क में उनके विषय में कुछलिखने के लिए शब्दों का अभाव अखरता है।
स्मृतिशेष चौधरी भजनलाल जी राजनीति के जादूगर थे, नहीं-नहीं जादूगर जैसी उपमा उस पवित्रात्मा के लिए उपयुक्त प्रतीत नहीं होती। वे राजनीति के परम विशेषज्ञ, दूरदृष्टा, कर्मठ और स्वच्छ छवि वाले एक आदर्श राजनेता थे। उनका विराट व्यक्तित्व व दिव्य कृतित्व भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। धुन के धनी, समृद्ध व्यक्तित्व के स्वामी, दृढ़ निश्चयी, कर्मयोगी व यशस्वी समाज सेवी, स्वनाम धन्य, लोकनायक श्री भजनलाल जी परमगुरु जम्भेश्वर भगवान के अनन्य उपासक थे। बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल जी आत्मसम्मान के आदर्श उदाहरण थे, साथ ही परोपकार में पूर्ण आस्था रखने वाले, प्रण पालक तथा लोकहितैषणा से परिपूर्ण थे। उनका मधुर व्यवहार व मिलनसारिता मनमोहक थी। वे अपने आत्मबल के आधार पर व्यावसायिक और राजनीतिक क्षेत्र में सफलता अर्जित करते हुए चरमोत्कर्ष तक पहुंचे थे।
उनका जन्म तत्कालीन अविभाजित भारत के बहावलपुर रियासत के कोड़ांवाली ग्राम में सुसम्पन्न व प्रतिष्ठित बिश्नोई परिवार में हुआ। वे परम भाग्यशाली एवं नक्षत्रधारी महापुरुष के सभी गुणों से सम्पन्न थे, किंतु स्थान परिवर्तन के दुर्योग से भारत-पाक विभाजन के समय उनकी पैतृक व अचल सम्पति छूट गई, विवश होकर वे कोड़ांवाली छोड़ आये। इस प्रकार युवावस्था में प्रवेश करते-करते ही उनके जीवन में संघर्ष शुरू हो गया। इसी संघर्ष ने उन्हें तपाकर सोने से कुदन बनाया। वे अपने संघर्षमय जीवन में सदैव निर्भय रहते हुए उत्साह और आत्मविश्वास के आधार पर कर्मठता के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए पुन: पहले से भी अधिक समृद्ध हो गये।
यथा समय उन्होंने ग्राम पंचायत समिति के पंच व तत्पश्चात् जिला परिषद के सदस्य व प्रधान पद पर प्रतिष्ठित होते हुए राजनीति के क्षेत्र में पदार्पण किया। कालांतर में पंजाब प्रांत से पृथक होकर हरियाणा प्रांत बनने के पश्चात हरियाणा विधानसभा के मध्यावधि चुनाव में पहली बार आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते और कई महत्वपूर्ण विभागों के केबीनेट मंत्री बने और हरियाणा के लोकप्रिय मंत्री के रूप में ख्याति अर्जित की। उनके बारे में विशेष उल्लेखनीय प्रसंग यह है कि केवल चार वर्ष बाद ही विधानसभा के आम चुनावों में आपने हरियाणा की राजनीति की प्रबल हस्ती को मात दी अर्थात् हरियाणा की राजनीति के मदांध गजराज को परास्त किया तो राजनीति का गगन चौधरी भजनलाल के जयकारों से गूंज उठा और माननीय श्री भजनलाल जी सम्पूर्ण भारत में अति लोकप्रिय राजनेता की प्रतिष्ठा प्राप्त करते हुए हरियाणा सरकार में फिर कई महत्वपूर्ण विभागों के केबीनेट मंत्री के रूप में सुप्रतिष्ठित हुए।
उनकी इस प्रतिष्ठा व लोकप्रियता से ईष्र्याग्रस्त होकर उनके प्रतिस्पर्धियों ने विद्वेषियों व विरोधियों का रूप धारण किया। कुछ बाह्य (विरोधी राजनैतिक दल) और कुछ आस्तीन के सांपों ने गुप्त शत्रुओं के रूप में उनके प्रति षड़यंत्र का मोर्चा खोला। चौधरी भजनलाल जी तो एक मनोवैज्ञानिक राजनेता थे, उन्होंने इन षड़यंत्रकारियों का भण्डा फोड़ करके, उनकी धज्जियां उड़ा दी। चौधरी साहब के राजनीतिक जीवन में थोड़ा संघर्ष व भावी चिंता का समय आया तो अल्पावधि में ही समाप्त हो गया। मैं उन्हीं दिनों चण्डीगढ़ गया, पूज्य श्री भजनलाल जी से उनकी जन्म तिथि, जन्म समय तथा जन्म स्थान आदि का प्रामाणिक विवरण प्राप्त करके पुनः जोधपुर आया और फलौदी जाकर ज्योतिर्विद् डॉ. हरिकृष्ण छंगाणी से उनकी जन्म पत्रिका (जन्म कुण्डली) बनवाई। विविध प्रकारेण परीक्षणोपरान्त जन्म कुण्डली प्रामाणिक सिद्ध हुई तो मैंने चौधरी साहब के राजनीतिक भविष्य के विषय में पूछा तो डा. हरिकृष्ण छंगाणी ने बताया कि एक वर्ष बाद इनके राजनीतिक शत्रुओं का कचूमर निकलना प्रारम्भ हो जाएगा तथा डेढ़ वर्ष पश्चात चौधरी भजनलाल जी हरियाणा के मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण करेंगे। उन्होंने (डा. छगाणी ने) यह सब लिख कर दिया। विश्वविद्यालय में परीक्षाएं शुरू हो जाने के कारण मुझे अवकाश नहीं मिला तो मैंने अपने प्रिय अनुज मानू के साथ वह पत्र तथा कुण्डली चण्डीगढ़ भेजी। मानूने अन्य किसी को नहीं बताई और स्वयं चौधरी साहब को हाथों हाथ सौंपी, पढ़कर उनका मुखकमल खिल उठा, प्रफुल्लता प्रकट हुई। भविष्यवाणी अक्षरश: सिद्ध हुई। उनके राजनीतिक शत्रुओं का कचूमर निकल गया, आस्तीन के सर्प को हथकड़ियां लगीं, अन्य सभी दब गये, कुछेक ने भजनलाल का लोहा मान लिया तथा चौधरी भजनलाल जी हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। सर्वाधिक लोकप्रिय और तीन बार मुख्यमंत्री बनकर आपने राजनीति में अपनी विशिष्ट प्रतिभा स्थापित की।
लोकप्रिय नेता चौधरी भजनलाल जी करनाल, फरीदाबाद आदि ऐसे-ऐसे लोकसभा क्षेत्रों से भारी बहुमत से सांसद चुने गये, जहां बिश्नोई समाज के मतदाता हैं ही नहीं। इससे सिद्ध है कि आप के साथ छतीस बिरादरियां रहीं। आप हर कौम के प्रिय नेता के रूप में सांसद बने। दो-दो बार केन्द्रीय मंत्री के पद को सुशोभित किया। आपने केन्द्रीय सरकार और हरियाणा सरकार में अनेक युवा बेरोजगारों को विविध विभागों में नौकरियां प्रदान करके उपकृत किया।
स्मृति शेष परमपूज्य चौधरी भजनलाल जी की परमानुकम्पा से मैं जिला लोक सम्पर्क अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया। मेरी नियुक्ति जिला गुड़गांव में हुई। मेरा निदेशालय चण्डीगढ़ था। अत: मुझे प्राय: चण्डीगढ़ जाना होता था। चौधरी साहब के निवास पर ही ठहरता, पूज्य बुआ सा जसमां का स्नेह मिलता और चौधरी साहब के सान्निध्य प्राप्ति का सौभाग्य मिलता। प्रिया बहन रोशन, प्रिय भ्राता चन्द्रमोहन और परम प्रिय भाई कुलदीप को मैं आधी-आधी रात तक कहानियां/कथाएं सुनाया करता था। इस प्रकार की कथाओं वाली पारिवारिक गोष्ठी की अध्यक्षता भुवासाजसमां करती थी।
राजनीति के अतिरिक्त स्वधर्म पालनार्थ बिश्नोई समाज की सेवा में भी आपने कीर्तिमान स्थापित किया। धर्मशालाओं का निर्माण, मंदिरों का पुनर्निर्माण या नव निर्माण, भारत की राजधानी दिल्ली के हृदय स्थल सिविल लाइन जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर भव्य धर्मशाला का निर्माण युगयुगांतर तक स्व. भजनलाल जी के अमर स्मारक के रूप में उनकी स्मृति अमर रखेगा। उनके द्वारा सम्पूर्ण भारत के विभिन्न प्रान्तों के निवासी बिश्नोई समाज को, भावनात्मक एकता के पवित्र धागे में पिरौने का अतिमहत्वपूर्ण सुकृत्य सदैव स्मरणीय रहेगा।
युग पुरुष चौधरी भजनलाल जी बिश्नोईद्वारा परमधाम (बैकुण्ठ वास) हेतुप्रस्थान के साथ ही सम्पूर्ण समाज उदासी के सागर में डूब गया है। केवल उनकी स्मृति-रश्मियाँ ही हमारा मार्ग प्रशस्त कर रही हैं और करती रहेंगी। उनकी अमर आत्मा हमारे साथ है और सदैव रहेगी। हम उनके धवल उज्ज्वल व्यक्तित्व व कृतित्व से प्रेरणा प्राप्त करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलकर अपना भविष्य उज्ज्वल बनाने में सफल हो सकेंगे।
इसी विश्वास के साथ मैं इस घड़ी में परमगुरु जम्भेश्वर भगवान से यही प्रार्थना करता हूंकि वे शोक संतप्त परिवार को इस असह्य वेदना को सहने की क्षमता प्रदान करें तथा उस अमर आत्मा (स्मृति शेष बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल जी) को कोटि-कोटि प्रणाम करते हुए प्रार्थना करता हूं कि वह सदैव हम सभी के साथ रहें, हमारे अंत:करण में विराजमान रहें।
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