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अरुण जौहर, संयुक्त निदेशक लोक सम्पर्क एवं सूचना विभाग, हरियाणा सरकार
క్ష్ हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री रहे चौधरी भजनलाल राष्ट्रीय स्तर के राजनेता थे, जिन्होंने भारत के कृषि और वन एवं पर्यावरण मंत्री पद को भी सुशोभित किया था। 6 अक्टूबर, 1930 को बहावलपुर रियासत (अब पाकिस्तान) के गांव कोड़ांवाली में एक साधारण बिश्नोई किसान परिवार में जन्म लेने के बाद 3 जून,2011 को हिसार शहर में ब्रह्मलीन होने तक चौधरी भजन लाल जी ने जिन राजनैतिक एवं सामाजिक ऊंचाइयों को छुआ, वह स्वयं में एक अद्वितीय उदाहरण है।
हालांकि उनके पिता चौधरी खेराज मांझू भारत की आजादी के बाद बहावलपुर से आकर तत्कालीन हिसार जिले के गांव मोहम्मदपुर रोही (अब फतेहाबाद जिला) में बस गए थे। परन्तु चौधरी भजनलाल जी ने अपनी युवा अवस्था में मण्डी आदमपुर को ही अपना कार्य क्षेत्र बनाया। मण्डी आदमपुर व आसपास के गांवों के लोगों ने चौधरी भजनलाल को इतना स्नेह, आदर एवं सम्मान दिया कि वे मण्डी आदमपुर के ही होकर रह गये और वहीं से उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत एक पंच के रूप में की। फिर हिसार जिला परिषद् ब्लाक समिति-II के अध्यक्ष बने और सन् 1968 में पहली बार आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और निरन्तर 40 वर्षों तक यहां से ही विधायक चुने जाते रहे और कई बार हरियाणा सरकार में मंत्री व मुख्यमंत्री रहे।
हरियाणा के लोगों के दिलों पर राज करने वाले व 36 बिरादरियों के एकमात्र सर्वमान्य एवं सर्वप्रिय नेता चौधरी भजनलाल 28 जून 1979 को पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने और 24 मई, 1991 को तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। उन्होंने तीन बार 12 वर्षों से अधिक हरियाणा के मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया। वे 21 अक्टूबर 1986 को प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की सरकार में देश के पहले पर्यावरण मंत्री बने और केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री के तौर पर चौधरी भजनलाल जी ने इस नए पर्यावरण मंत्रालय को एक अद्भुत पहचान दी। भारत में 15वीं शताब्दी में हुए पर्यावरण सरंक्षण के अग्रदूत गुरु जम्भेश्वर महाराज के अनुयायी होने के नातेपर्यावरण संरक्षण की भावना उनके हृदय में कुट-कूट कर भरी हुई थी। भारत की आजादी के पहले 50 वर्षों में सन् 1947 से 1997 तक की अवधि में भारतीय संसद में 25 राष्ट्रीय राजनेताओं द्वारा दिए गए 100 सबसे उत्कृष्ट भाषणों में से एक चौधरी भजनलाल जी द्वारा सन् 1986 में दिया गया पर्यावरण संरक्षण पर उनका भाषण था। केन्द्रीय कृषि मंत्री के रूप में भी चौधरी भजनलाल ने किसानों के हित में जो नई-नई कल्याणकारी योजनाएं देश में लागू करवायीं, वे सदा अविस्मरणीय रहेंगी क्योंकि चौधरी भजनलाल किसानों की समस्याओं को समझते थे।
चौधरी भजनलाल जी से मेरा सीधा सम्बन्ध सन् 1972 से था, जब मैं मात्र 18 वर्ष की आयु का ही था। मेरे पूज्य पिता चौधरी सहीराम जौहर बिश्नोई समाज की एकमात्र मासिक हिन्दी पत्रिका अमर ज्योति के जून, 1950 में संस्थापक सम्पादक बने और समाजहित चिन्तन की सोच मुझे विरासत में अपने पूज्य पिता जी से ही मिली। मैं भी कॉलेज जीवन से ही बिश्नोई समाज के कार्यक्रमों में बढ़चढ़कर भाग लेने लगा।
1 अक्टूबर, 1978 को मैंने पहली बार चौधरी भजनलाल जी (तत्कालीन सहकारिता मंत्री, हरियाणा सरकार) के साथ चण्डीगढ़ से कानपुर तक की यात्रा की जहां श्री सलिल बिश्नोई, वर्तमान विधायक कानपुर द्वारा आयोजित युवा बिश्नोई सम्मेलन में हमने भाग लिया। तत्पश्चात् 2 जून 1979 को भी मैंने चौधरी भजनलाल जी के साथ उत्तरप्रदेश के ही औरैया नगर में आयोजित युवा बिश्नोई सम्मेलन में भाग लिया। औरैया के सम्मेलन में ही वहां के बिश्नोई बन्धुओं ने चौधरी भजनलाल जी के लिए हरियाणा का मुख्यमंत्री बनकर ही दोबारा औरैया आने की गुरु
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