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अपनाई गई लोकहित की नीतियों को भी आगे बढ़ाया गया। शहरी स्थानीय निकायों में कर्मचारियों के वेतनमान सम्बन्धी फैसले तथा निकायों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए विशेष व्यय व्यवस्था की ओर ध्यान दिया, जिसके फलस्वरूप शहरी विकास की प्रक्रिया को नई दिशा मिली। उनके इस शासन काल में पंजाब के साथ एस.वाई.एल. विवाद तथा चण्डीगढ़ का मुद्दा इस कार्यकाल में छाया रहा। इस मुद्दे पर उन्होंने हरियाणा की बेहतर ढंग से पैरवी की जिसका परिणाम यह रहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने 9 अप्रैल 1982 को एस.वाई.एल. नहर का उद्घाटन पंजाब में कर्पूरी नाम स्थान पर किया। पंजाब में नहर के उद्घाटन के बाद हरियाणा क्षेत्र में इस नहर के जल्दी निर्माण की आवश्यकता महसूस हुई तो उसके लिए उन्होंने सभी तरह के साधन जुटाकर तेजी से कार्य को आगे बढ़ाया तथा हरियाणा क्षेत्र में इस नहर सम्बन्धी कार्य को 98 प्रतिशत हिस्सा अल्पकाल में पूरा करवाया। इसी कड़ी में 1986 में राजीव लोंगोवाल समझौते में चण्डीगढ़ पंजाब को देने का फैसला किया गया तो उन्होंने इसका विरोध किया,राजीव गांधी द्वारा विरोध की महत्त्व न देने पर इन्होंने मुख्यमंत्री के पद से त्याग पत्र देकर अपने साहस, त्याग व प्रदेश प्रेम का परिचय दिया। इस तरह मुख्यमंत्री के रूप में पहले कार्यकाल की उपलब्धि में उन्होंने हरियाणा की आधारभूत तरक्की को नई दिशा दी तथा अंतर्राज्यीय मुद्दों में हरियाणा की पैरवी राजनैतिक स्तर पर की तथा विवाद के गहरा होने की स्थिति में मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय भी लेकर गए। आन्तरिक तौर पर उन्होंने हरियाणा के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों की ओर ध्यान दिया, यमुना, घग्घर व मारकण्डा नदी के बरसाती पानी को नियंत्रित करने के लिए रेणुका, बिसाऊ तथा लखवार-व्यास के बांधों का निर्माण करवाया। जिसके चलते बाढ़ की तबाही से यह क्षेत्र बचा तथा वही पानी कृषि उपयोग में भी समुचित ढंग से प्रयोग लाया जा सका।
5 वर्ष के अंतराल के बाद उन्होंने हरियाणा की कमान 1991 में फिर संभाली। इस बार उन्होंने नई चुनौतियों की ओर ध्यान दिया। इस काल में जहां विश्व उदारीकरण ध्रुवीकरण व निजीकरण की ओर कदम बढ़ा रहा था, वहीं हरियाणा में शिक्षा, विज्ञान व तकनीक को महत्व देकर विश्व स्तर पर हो रहे परिवर्तनों को स्वीकार कर रहा था। चौधरी भजन लाल ने इस काल में पंचायती राज संस्थानों की नयी व्यवस्था को लागू किया जिसमें महिलाओं व अन्य जरूरतमंद वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई। लड़कियों के जन्म के अवसर पर अपनी बेटी अपना धन योजना तथा स्नातक स्तर तक लड़कियों के लिए नि:शुल्क शिक्षा का प्रावधान भी इसी काल में किया गया। किसानों की मांग पर 45000 ट्यूबवैलों के कनैक्शन तथा 1995 की बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों को दी गई अभूतपूर्व सहायता को भी जन मानस आज तक याद करता है। मेवात क्षेत्र के लिए विशेष विकास बोर्ड का गठन, सोनीपत में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की फल एवं सब्जी मण्डी, रोहतक मेडिकल कालेज के स्तर में सुधार करना, शिवालिक क्षेत्र के लिए विकास के लिए विशेष पहल को इनके शासन काल के विकासकारी कार्यों में गिना जा सकता है। थानेसर तकनीकी हब तथा आधुनिक गुड़गांव का ब्लूप्रिंट तैयार करवाकर इन्होंने अपनी भाविष्यवादी सोच को स्पष्ट किया। हिसार में गुरु जम्भेश्वर विज्ञान व तकनीकी विश्वविद्यालय की स्थापना इस बात का संकेत था कि भविष्य में विज्ञान व तकनीकी के साथ पढ़ना बेहद जरूरी है तथा हम उसमें किसी तरह से पीछे नहीं रहना चाहते।
इन सबके अतिरिक्तचौधरी भजनलाल का कार्यकाल सर्वाधिक विकास, कर्मचारी वर्ग व व्यापारी के हितों के संरक्षक, गांवों व शहरों के बीच समन्वय तथा विभिन्न वर्गों के बीच प्रगति के समुचित अवसरों के लिए भी जाना जाता है। हरियाणा के विधायकों को, केन्द्र के सांसदों की तर्ज पर क्षेत्र के विकास हेतु निधि की स्थापना को भी राजनैतिक व आर्थिक दृष्टि से लिया गया दूरगामी निर्णय कहा जा सकता है।
इस तरह स्पष्ट है कि चौधरी भजनलाल ने हरियाणा के नव-निर्माण में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने अपनी दूरगामी सोच, चिंतन व कार्यप्रणाली से लोगों के बीच पहचान बनाई तथा भारत में हरियाणा को एक अग्रणी राज्य बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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