गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।
चौधरी भजनलाल की गिनती हमेशा से ही दबंग नेताओं में रही है। उन्होंने अपनी दबंगई कमजोरों व लाचारों पर नहीं बल्कि अत्याचारियों से निपटने के लिए चलाई। आज भी प्रदेश की 36 बिरादरी की लीडरशिप में सबसे दमदार नेता के तौर पर पहचान चौधरी भजनलाल से ही की जाती है। चौधरी भजनलाल की प्रदेश के हर कोने में गहरी पैठ रही है जिसकी बदौलत प्रदेश की यू.पी. सीमा से सटे फरीदाबाद, मध्यक्षेत्र करनाल और दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र हिसार से वे खुद सांसद बने जबकि राजस्थान से सटे भिवानी से उनके पुत्र कुलदीप बिश्नोई सांसद बने। इसके अतिरिक्त आदमपुर से पिछले 40 सालों से उनके परिवार का सदस्य ही विधायक रहा है और हिमाचल की सीमा से सटे कालका से चार बार चौधरी भजनलाल के पुत्र चंद्रमोहन विधायक रह चुके हैं। चौधरी भजनलाल परिवार के अलावा देश भर में इस तरह का कोई दूसरा राजनैतिक घराना नहीं जो प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से चुनाव लड़कर अपनी लोकप्रियताका परचम लहरा चुका हो।
चाहे एस.वाई.एल. के निर्माण का मामला हो या फिर प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने का फैसला, हर एक अंतर्राज्यीय मसले पर चौधरी भजनलाल ने हरियाणा प्रदेश की वकालत पूरे दमदार तरीके से की। प्रदेश की प्यासी जनता की समस्या को दूर करने के लिए 9 अप्रैल, 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी से कर्पूरी गांव में कस्सी चलवाकर एस.वाई.एल. (सतलुत यमुना संपर्क नहर) की खुदाई का कार्य शुरू करवाना, उनकी दूरदर्शिता थी। इस काम को औपचारिकता न मानकर एस.वाई.एल. के निर्माण का 98 प्रतिशत कार्य अपने कार्यकाल में पूरा करवाने में उनकी कर्मनिष्ठा साफ दिखाई दी। प्रदेशवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए मामले को माननीय सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचाया और जोरदार तरीके से अदालती पैरवी की। इसी तरह उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल रैली कर हरियाणा को पानी दिलवाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को ज्ञापन भी सौंपा। चौधरी भजनलाल ने सन् 1986 में राजीव लौंगोवाल समझौते के तहत चंडीगढ़ पंजाब को देने के विरोध में मुख्यमंत्री पद तक से इस्तीफा देकर जता दिया था कि वे हरियाणा के हितों की रक्षा करने के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने से नहीं चूकेंगे। यही नहीं यमुना, घग्गर व मारकडा नदी से आने वाले बाढ़ के पानी को बांधों में रोककर इस पानी से साल भर तक प्रदेश के सूखे क्षेत्रों में पानी उपलब्ध करवाने के लिए रेणुका, बिसाऊ व लखवार-ब्यास के निर्माण की योजना बनाना उनकी दूरदर्शिता रही है। यही नहीं समूचे प्रदेश के विकास के लिए सभी पार्टियों के विधायकों के लिए सांसद निधि की तर्ज पर विधानसभा क्षेत्र विकास अनुदान की व्यवस्था भी उनके मुख्यमंत्रीत्व काल में की गई थी। आज के वैज्ञानिक युग की आवश्यकताओं को उन्होंने दो दशक पहले ही भांप लिया था। इसलिए अगली पीढ़ियों के युवाओं को तकनीकी शिक्षा मुहैया करवाने के लिए हिसार में गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
मानेसर में टेक्नीकल हब व औद्योगिक नगरी बन चुके गुड़गांवा का ब्लूप्रिंट तैयार करवाना, एक परिवार को एक रोजगार योजना लागू करना, पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करके 25 वर्षों के बाद दोबारा जिला परिषदों का गठन करना व महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था करना, ग्रामीण क्षेत्रों को दिन में 16 घंटे बिजली उपलब्ध करवाना, अपनी बेटी अपना धन योजना लागू करके कन्या के जन्म पर 2500 रुपये के इंदिरा विकास पत्र के बदले 18 वर्ष बाद 25000 रुपये का भुगतान किया जाना व लड़कियों के लिए स्नातक तक मुफ्त शिक्षा योजना लागू करना, मात्र पांच वर्ष के कार्यकाल में 45000 नए ट्यूबवैलों को बिजली कनैक्शन देकर एक रिकॉर्ड स्थापित करना आदि उनके मुख्यमंत्रीत्व काल की उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त है। वर्ष 1995 में आई भीषण बाढ़ के समय किसानों को 3000 रुपये से लेकर 10000 रुपये तक प्रति एकड़ व ट्यूब्वैल के लिए 50 हजार रुपये का मुआवजा तुरंत प्रदान करके और बाढ़ पीड़ितों की मदद को जुटे रहकर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। इसके अलावा चौधरी भजनलाल ने अपने कार्यकाल में न केवल समाज की 36 बिरादरी के कल्याण के लिए अहम फैसले लिए बल्कि लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने के लिए बड़े पैमाने पर आधारभूत ढांचे का विस्तार करवाया। तीन बार मुख्यमंत्री रहे चौधरी भजनलाल ने अपने कार्यकाल में ऐसे अनेक जनकल्याणकारी कदम उठाए जो कालांतर में मील के पत्थर साबित हुए। जिनमें प्रदेश के पिछड़े वर्गों का आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करवाना, मेवात डेवलपमेंट बोर्ड का गठन करवाना तथा मेवात में आई.आई.टी. इंस्टीट्यूट की स्थापना का प्रावधान करना, रोहतक में पंडित भगवत दयाल शर्मा मेडिकल कालेज को अपग्रेड करना व पंजाबी भाषा को हरियाणा में दूसरी भाषा का दर्जा दिलाना प्रमुख है। उनके प्रयास ने अनुसूचित जाति की श्रेणी में अत्यंत दलित समाज को आगे बढ़ने का मौका दिया। उन्होंने उत्तर-पूर्वी हरियाणा के विकास के लिए शिवालिक डेवलेपमेंट बोर्ड की स्थापना की तथा पूर्वी हरियाणा के लिए सोनीपत के राई में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ड्राई प्रतूट व सब्जी मंडी का शिलान्यास किया। इस तरह के सर्वहितकारी कार्यों के बल पर ही चौधरी भजनलाल आज तक प्रदेश की सभी बिरादरियों के एकमात्र सर्वमान्य नेता के रूप में स्थापित रहे हैं। जाति व क्षेत्र के आधार पर भेदभाव की बजाय प्रदेश के कोने-कोने में बसे 36 बिरादरियों के लोगों को रोजगार के समान अवसर उपलब्ध करवाना आदि उनके मुख्यमंत्रीत्व काल की उपलब्धियों का लंबा चौड़ा इतिहास है।
चौधरी भजनलाल बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे और राजनैतिक लोगों के बीच भी धार्मिक रहे। उनमें इंसानियत कुट-कूट कर भरी हुई थी। उन्होंने अपने जीवन में अनेक धर्मशालाओं, मंदिरों, धार्मिक व सामाजिक भवनों का निर्माण करवाया। उनके कार्यकाल में विभिन्न जिलों में समाज की सभी जातियों को अपने सामूहिक कार्यों के लिए सरकार द्वारा जमीन अलाट की गई। वे समाज के प्रत्येक वर्ग कर्मचारी, व्यापारी, किसान व मजदूर से विशेष हमदर्दी रखते थे। वे सही मायनों में हर क्षेत्र व समाज के लोगों के महबूबनेता थे।
गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।