एक युग प्रवर्तक थे बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल जी

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रामसिंह पंवार, महासचिव अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा, मुक्तिधाम मुकाम

केवल बिश्नोई समाज के ही नहीं अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र के अति लोकप्रिय व सम्माननीय नेता अ.भा. बिश्नोई महासभा के संरक्षक चौधरी भजनलाल जी के निधन से समाज पर वज़पात हो गया। अब केवल उनकी, उन द्वारा करवाए गये विकास कार्यों की व बांटे गये प्रेम की स्मृति ही शेष रह गई है। वे समाज के बहुत बड़े आलोक स्तम्भ थे, जिनसे हमें पथ दिखाई देता था और हमें हर मंजिल सुगम लगती थी। समाज का हर छोटा-बड़ा व्यक्ति उन्हें अपने परिवार का सदस्य मानता था। बिश्नोई समाज रूपी परिवार के वे मुखिया थे। समाज में प्रत्येक व्यक्ति का दु:ख दर्द उनका अपना होता था, तभी तो वे तत्परता के साथ उसके निवारण में लग जाते थे। उनके मन-मस्तिष्क में केवल एक ही चिंता रहती थी कि आम आदमी का उत्थान केसे हो?

बिश्नोई धर्म एवं गुरु जंभेश्वर में अपार श्रद्धा रखने वाले चौधरी भजनलाल जी ने समाज को एक नई दिशा प्रदान की थी। यह उनका चिंतन व प्रयास ही था कि जिससे समाज में एक नई चेतना पैदा हुई और हर व्यक्ति अपने निजी स्वार्थ और छोटे-बड़े वैमनस्य को छोड़कर समाज हित की बात सोचने लगा। एक सेवकदल के सदस्य, महासभा के सदस्य व महासचिव के रूप में मैंने उनके समाजहित के कार्यों को बहुत निकट से देखा था। पिछले चार दशकों में समाज में जो आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है उसका पूर्ण श्रेय बिश्नोई रत्नचौधरी भजनलाल जी को जाता है। स्थान-स्थान पर गुरु जम्भेश्वर के मंदिरों व बिश्नोई धर्मशालाओं का जो जाल बिछा है, उनके प्रवर्तक चौधरी साहब ही थे। मुक्तिधाम मुकाम का निज मन्दिर व दिल्ली का गुरु जम्भेश्वर संस्थान भवन तो चौधरी साहब की समाजसेवा के प्रतीक चिह्न हैं। पूरे भारत के छोटे-बड़े शहरों में उनके सहयोग व मार्गदर्शन से बने मंदिरों व अन्य संस्थानों की सूची तो अतिदीर्घ है।

हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री और केन्द्रीय केबिनेट मंत्री जैसे अति व्यस्तता वाले पदों पर रहते हुए भी चौधरी भजनलाल जी मुकाम सहित अन्य जांभाणी मेलों, उत्सवों व कार्यक्रमों में न केवल सक्रिय रूप से भाग लेते थे अपितु वहां दो-दो दिन रूककर समाज की प्रगति के विषय में गहन विचार-विमर्श करते थे। इससे स्वत: ही प्रमाणित हो जाता है कि समाज से आपको हार्दिक प्रेम था और आप इसे बुलन्दियों तक ले जाना चाहते थे। समाज के बड़े-बड़े कार्यक्रम तो आपके दिशा-निर्देश में ही होते थे परन्तु जब गांवों में भी आपको गुरु जम्भेश्वर भगवान के मन्दिर के शिलान्यास या उद्घाटन के लिए आमन्त्रित किया जाता था तो आप बिना किसी देरी के स्वीकृति दे देते थे। कहना न होगा कि आपकी इसी प्रवृत्ति के कारण समाज में एक नई जागृति व नया जोश पैदा हुआ, जिसके सकारात्मक परिणाम आज सर्वत्र देखा जा सकते हैं।

आज के युग में किसी भी व्यक्ति व समाज की सर्वागीण उन्नति में राजनीति का बहुत बड़ा योगदान होता है। चौधरी भजनलाल जी जैसे दूरदर्शी नेता इस तथ्य को समझते थे, इसलिए उन्होंने समाज का राजनीतिक धरातल यथा सामथ्र्य मजबूत किया था। आज उनके जाने से यह धरातल कमजोर हुआ है, जिसे हमें एकजुट होकर फिर से मजबूत करना चाहिए। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा को उन्होंने एक नव स्वरूप प्रदान किया था। महासभा में उन्हीं का निर्णय सर्वमान्य होता था। उनके निधन से महासभा को अपूर्णय क्षति हुई। नि:संदेह चौधरी साहब के निधन से एक युग का अवसान हो गया है जिसकी पुनरावृत्ति एक कठिन कार्य है। सम्पूर्ण महासभा की ओर से चौधरी भजनलाल जी के चरणों में शतशत नमन।

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Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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