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लछमन दास, आई.पी.एस. (Retd.) पूर्व डी.जी.पी. (हरियाणा)
स्वर्गीय चौधरी भजनलाल जी से मुझे मिलने का अवसर मई, 1968 में मिला जब वे विधानसभा के चुनाव में जुटे हुए थे। उस समय मुझे आभास हुआ कि यह नेकदिल इन्सान बहुत उन्नति करेगा। वे गुरु रविदास महाराज की वाणी में यकीन रखते थे। उन्होंने गुरु जी की वाणी का उच्चारण करते हुए कहा नीची उच करे मेरा गोबिन्द काहूते न डरे। इसके बाद उन्होंने कहा था कि एक दिन इस प्रदेश की बागडोर वह सम्भालेंगे, जो उन्होंने पूर्ण कर दिखाया। सियासीजलन के कारण चौधरी साहब के रास्ते में बहुत कांटे बिछाये गये परन्तु उन्होंने सब बाधाओं को पार करके मुख्यमंत्री बने।
पहली बार मुख्यमंत्री बनने के तुरन्त बाद चौधरी भजनलाल अपने गांव मोहम्मदपुर रोही गये और अपने पिता जी के चरण स्पर्श करते हुए कहा कि पिताजी! अब सारे हरियाणा में आपका हुक्म चलेगा क्योंकि गुरु महाराज ने हरियाणा की बागडोर आपके इस बेटे के हाथ में दे दी है। अपने पूज्य पिता के प्रति चौधरी भजनलालजी का ये आदर भाव दर्शाता है कि वे बहुत अच्छे संस्कारों के इन्सान थे।
कोई समय था जब कुछ अधिकारीगण चौधरी साहब का टेलीफोन सुनने से भी कतराते थे और आम बहाना बनाया जाता था कि साहब अभी-अभी बाहर गये हैं या बाथरूम में हैं। परन्तु जब चौधरी भजनलाल मुख्यमंत्री बन गये तो रूटीन में उन अधिकारियों की बदलियां हुई तो वह भागे भागे फिरते रहे और मुख्यमंत्री आवास के चक्कर लगाते रहे ताकि उनकी बदलियां रूक जायें। चौधरी भजनलाल ने उन अधिकारियों को बख्शते हुए उनकी बदलियां रद्द कर दीं। कई व्यापारी भी कभी-कभी उनके विरूद्ध षड्यन्त्र आदि करते रहते थे, खासतौर पर उस समय जब वे सत्ता में नहीं होते थे परन्तु मुख्यमंत्री बनने के पश्चात् वे सभी शरण में पड़कर अपनी खताबख्शवाने में सफल रहे। जो भी गरीब, अमीर या अधिकारी उनके पास कोई काम के लिये गया, उन्होंने उनकी पूरी सहायता की और उन्हें उन्नति प्रदान की। घर बसाने के लिये गरीबों और छोटे कर्मचारियों को भी प्लाट दिये।
चौधरी भजनलाल ने सभी धर्मों और समाज की हर प्रकार से सेवा की। हरियाणा विधानसभा में बिश्नोई समाज के एकमात्र विधायक होते हुए भी वे मुख्यमंत्री बने। जब वह केन्द्र में पर्यावरण और कृषि मंत्री बने तो गुरु जम्भेश्वर महाराज जी के 29 नियमों को पूरी तरह लागू कराया। बिश्नोई समाज शिक्षा की दृष्टि से बहुत पिछड़ा हुआ था। चौधरी साहब ने उनके उत्थान के लिये अनगिनत कार्य किये। सरकारी नौकरियों में तो ना के बाराबर इस समाज का प्रतिनिधित्व था। चौधरी साहब ने उन्हें अच्छे-अच्छे पदों पर लगाया। यदि यह कहा जाये कि गुरु जम्भेश्वर महाराज के पश्चात् किसी ने बिश्नोई समाज के लिये कल्याणकारी कार्य किया है तो वह केवल चौधरी भजनलाल जी ने। इसलिये गुरु जम्भेश्वर महाराज के बाद चौधरी जी की पूजा करनी चाहिए। उनकी समाधि पर प्रतिदिन हवन यज्ञ व पूजा होनी चाहिए और हर साल मेला लगे, यही उन जैसे ऊंचे कद्दावर महापुरुष को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मैं अपने परिवार सहित व नॉर्थ इंडिया भारत रत्न बाबा साहब अम्बेदकर सोशल फोर्म की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि पेश करता हूं।
एम.एस. राव, आई.ए.एस. (रिटा.) 460, सैक्टर-2, पंचकूला (हरि.)
परम आदरणीय चौधरी भजनलाल के निधन से हरियाणा ने एक ऐसा राजनेता खो दिया है जिनको प्रदेश की 36 बिरादरियों का विश्वास प्राप्त था। जो स्थान उनके निधन से रिक्त हो गया है उसकी पूर्ती की कोई सम्भावना नजर नहीं आती। मेरा चौधरी साहब से 1964 से सम्पर्क था। मुझे आज भी वह दिन याद है जब मैं उपायुक्त हिसार के कमरे से बाहर निकला तो मनीराम जी गोदारा से सामना हो गया। उनके साथ एक आकर्षक व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे जो देखने में कोई रईस लगते थे। गोदारा जी ने परिचय कराते हुए कहा यह मेरा छोटा भाई है कभी आदमपुर जाना हो तो इनके पास ठहरना। वे आकर्षक व्यक्तित्व वाले छोटे भाईचौधरी भजनलाल जी ही थे।
फतेहाबाद के 7 साल के सेवाकाल में चौधरी साहब को निकट से जानने का अवसर मिला। मैंने अपने जीवन में इतने विशाल हृदय का राजनेता नहीं देखा। मैंने उनसे एक युवक का परिचय कराया जिनके पिता कभी आदमपुर में सेवारत थे तथा बाद में उनका निधन हो गया था। उसे सरकारी सेवा की अपेक्षा थी। चौधरी साहब ने उसके पिता के निधन पर दु:ख जताया तथा उससे जानकारी ली। दो मास पश्चात उस युवक को नियुक्ति-पत्र मिल गया। ऐसे अनेक उदाहरण है।
1997 से 2010 का समय पंचकूला में चौधरी साहब के सम्पर्क में काटा। यह समय जीवन का स्वर्णिम समय था। मैं उन्हें शत्-शत्प्रणाम करता हूं और इस वाक्य के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।
ऐ अजूल तुझ से सख्त नादानी हुई। फ्लूल को चुना की गुलशन में विरानी हुई॥
यद्यपि यह संसार प्रारम्भ काल से ही जीवात्मा के आवागमन का रूप रहा है। न जाने कितने जीव प्रतिदिन पृथ्वी माँ की गोद में अपनी अठखेलियां करने के लिए उत्पन्न होते हैं और न जाने कितने अपने नश्वर शरीर को छोड़कर यहां से चले जाते हैं। परन्तु कुछ ऐसी दिव्य विभूतियां परम पिता की इस व्यवस्था में आती हैं जो जन्म के समय एक स्वाभाविक प्रक्रिया में रोती हैं और उनके आगमन पर परिवार जन खुशियां मनाते हैं। लेकिन वे अपनी विलक्षण प्रतिभा, अदम्य साहस व सहज स्वभाव से कर्मठता के द्वारा मानवता के साथ ऐसे जुड़ते हैं कि जब वे संसार से प्रयाण करते हैं तो उनके चेहरे पर एक विलक्षण संतोष, सरलता एवं शांति व्याप्त रहती है। उनके जाने पर लाखों नर-नारी, अबाल, वृद्ध अपनी आंखों से आंसुओं की धारा बहाते हैं।
ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व के धनी बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल जी का निधन समाज की अपूर्णीय क्षति है। चौधरी भजनलाल जी एक सामाजिक प्रचेता के रूप में समाज में प्रकट हुए। बिश्नोई समाज के लिए यह कल्पनातीत था कि गुरुवर जम्भेश्वर जी के नाम पर भारतवर्ष की राजधानी दिल्ली में महत्वपूर्ण स्थान पर जगह उपलब्ध होकर वहां गुरु जम्भेश्वर शोध संस्थान का निर्माण हो सकेगा और हिसार में शिक्षा का सर्वोच्च संस्थान गुरु जम्भेश्वर के नाम से स्थापित हो सकेगा। इन महान कार्यों के अतिरिक्त समाज के कई अभूतपूर्व कार्य जो जन समाज की कल्पना से बाहर थे। चौधरी साहब ने अपनी अनुपम राजनैतिक क्षमता के बल पर सहज ही साकार करके दिखाए। जहां आपने गुरु जम्भेश्वर के प्रति अपना जीवन समर्पित किया वहीं तीन बार हरियाणा सरकार में मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए अनेक आयामों से हरियाणा की धरती को संजीवनी प्रदान की। ऐसे महामानव को हम सबका क्षण प्रति क्षण शतशत नमन।
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