मेरे साथी मेरे हमदम – पं. रामजीलाल पूर्व सांसद (राज्य सभा) Part 2.

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वह 1972 का ही आम चुनाव था जिसने चौधरी भजनलाल को पूरे हरियाणा का चर्चित नेता बना दिया। इस बार उनकी टक्कर हरियाणा के दिग्गज नेता चौधरी देवीलाल से थी। पूरे हरियाणा में आदमपुर के ही चर्चे थे। जब गिनती शुरू हुई तो हम गणना हाल में ही बैठे थे। चौधरी देवीलाल ने चौधरी भजनलालजी से दो-तीन बार कहा कि चुनाव तो हमरा एक तरफा ही है आप क्यों समय बर्बाद कर रहे हो। तब चौधरी भजनलाल जी खड़े होकर रिटर्निग आफिसर मलिक साहब के पास गये और एक खाली पेज लेकर आये। चौधरी भजनलाल जी ने उस खाली पेज पर हस्ताक्षर करके चौधरी देवीलाल के सामने ही रिटर्निग ऑफिसर को देते हुए कहा कि अगर मेरी जीत दस हजार से कम हो तो मेरा इस्तीफा भर लेना। जब परिणाम घोषित हुआ तो चौधरी भजनलाल जी 11000 से अधिक वोटों से जीत गये। जीतने पर उन्होंने चौधरी देवीलाल का पूरा सम्मान किया और मुझे व पोकरमल जी को आदेश दिया कि हम चौधरी देवीलाल जी को ससम्मान छोड़कर आये। चौधरी भजनलाल जीचुनाव जीतने परविरोधीउम्मीदवारको इतना मानदेते थे कि वह अपनी हारको भूल जाता था।

1972 का चुनाव जीतने के बाद चौधरी साहब की साख हरियाणा की राजनीति में बहुत बढ़ गई उधर चौधरी बंसीलाल की तानाशाही से विधायक उनके खिलाफ हो गये और अविश्वास प्रस्ताव ले आये। तब चौधरी भजनलाल जी ने ही बंसीलाल सरकार को कई बार बचाया था, तब चौधरी बंसीलाल ने कहा भी था कि यह सरकार मेरी न होकर चौधरी भजनलाल की है। इसके बाद तो भजनलाल का कद मुख्यमंत्री से भी बड़ा हो गया और विधायक उन्हीं के इर्द-गिर्द मंडराने लगे। चौधरी बंसीलाल चौधरी साहब की बढ़ती लोकप्रियता से घबराकर उनके विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगे। जून, 1975 में आपातकाल लागू होने से बंसीलाल की तानाशाही और अधिक बढ़ गई। चौधरी भजनलाल ने इस तानाशाही के विरोध में मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। अब चौधरी भजनलाल के समर्थकों पर यातनाओं का दौर शुरू हुआ। स्वयं मुझे हिसार जिला परिषद् चैयरमेन से हटाने की कोशिश की गई। पानी चोरी व गबन का झूठा मुकद्दमा बनाया गया। पंचायत की जांच शुरू करवा दी गई। मेरे भाई अर्जुनलाल पर आम्र्स एक्ट के तहत केस दर्ज करवा दिया। तब चौधरी भजनलाल जी ने ही उच्च न्यायालय चण्डीगढ़ से हमारी जमानत करवाई थी। बंसीलाल ने स्पष्ट कहा था कि भजनलाल आपको कहां-कहां बचाएगा, अच्छा यही है कि उनका साथ छोड़ दो। मैंने भी स्पष्ट कह दिया था प्राण छोड़ सकता हूं पर भजनलाल को नहीं। सन् 1977 के चुनाव में हमने कांग्रेस छोड़ दी और चुनाव में भजनलालजी के साथ मिलकर बंसीलाल का हिसाब चुकता किया।

1977 के आम चुनाव में चौधरी भजनलाल जी जनता पार्टी के विधायक बनकर चौधरी देवीलाल की सरकार में मंत्री बने। 1979 में जनता पार्टी के विधायक चौधरी देवीलाल के विरुद्ध हो गये और चौधरी भजनलाल जी को विधायक दल का नेता चुन लिया, इस प्रकार वे मुख्यमंत्री बन गये। चौधरी साहब की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे ऊंचे से ऊंचे पद पर पहुंचकर भी अपने बुरे दिनों के साथियों को भूलते नहीं थे बल्कि अवसर मिलते ही उनके अहसान से हजार गुणा अधिक वापिस कर देते थे। मुझे भी उन्होंने बिजली बोर्ड का सदस्य, हरियाणा राज्य उपभोक्ता समिति का अध्यक्ष बनाया। 1982 में चौधरी भजनलाल जी ने जो राजनीतिक करिश्मा दिखाया वह एक मिसाल बन गया। इस चुनाव में कांग्रेस को 36 और देवीलाल की पार्टी को 31 सीटें मिली थी। सबसे बड़ा दल होने के नाते कांग्रेस के मुख्यमंत्री के रूप में चौधरी भजनलालजी को शपथ दिलाई गई और एक महीने का समय बहुमत सिद्ध करने के लिए दिया गया। चौधरी साहब ने तो एक सप्ताह में ही बहुमत सिद्ध कर दिया और 36 का आंकड़ा 63 में बदल दिया।

सभी जानते हैं कि चौधरी भजनलाल जी कुर्सी के भूखे नहीं थे। सन् 1986 में जब चण्डीगढ़ पंजाब को देने की बात आई तो चौधरी साहब ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। थोड़े समय बाद ही भजनलाल जी राज्यसभा सदस्य चुने गये और केन्द्र में पर्यावरण व वन मंत्री बने। 1987 के चुनावों में लोकदल की आंधी चली और चौधरी देवीलाल मुख्यमंत्री बने। देवीलाल जी ने मुख्यमंत्री बनते ही चौधरी भजनलाल समर्थकों को तोड़ने का कार्य शुरू किया। इसके लिए उन्हें डराया-धमकाया जाने लगा, झूठे केस दर्ज होने लगे। इस विकट घड़ी में चौधरी भजनलाल जी ने अपने समर्थकों से निरन्तर सम्पक बनाए रखा व उनकी सहायता की। स्वयं मुझे चण्डीगढ़ से लौटते समय उकलाना मोड़ के पास अपहृत कर लिया गया। एक सप्ताह तक बरवाला, सतनाली आदि अलग-अलग थानों में रखा गया तथा दबाव बनाया कि मैं ची. भजनलाल को छोड़ दूं और उनके खिलाफ बयान दूं। आखिरी दिन चुहड़कलां थाने में मुझसे कहा गया कि या तो भजनलाल को छोड़ दो या गोली खाओ। मैंने स्पष्ट कहा गोली खाना मंजूर है और आंखें बंद करके बैठ गया। उधर हिसार में बंद और प्रदर्शन होने लगे जिसके दबाव में झुककर सरकार ने आठवें दिन रात में शहर में बिजली गुल करके मुझे छोड़ दिया और मुख्यमंत्री ने बयान दिया कि रामजीलाल हमारी हिरासत में नहीं है। यह चौधरी भजनलाल के प्रति मेरा प्रेम और विश्वास ही था कि मैं इतना दबाव सहन कर सका |

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Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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