Lil na laawe

निवण प्रणाम जी👏
29-“लील न ला

वै अंग देखत दूर ही भागे”
इस नियम के दो अर्थ निकाले जा रहे हैं।
लील-खत्म हुआ,मरा हुआ,मास
लील-नीला वस्त्र
मास खाने वालो के लिए नरक का दरवाजा खुला रहता है।व्यक्ति जिस प्राणी के मांस को खाता है, वे जीवन भर नरकगामी जीवन जीते हैं।
सभी जीवों का जीने का हक है इसलिए किसी भी जीव की हत्या नही करनी चाहिए।
जो आत्मसुख के लिए अहिसंक जीवो का वध करता है वह इस लोक व परलोक में कही सुखी नही रहता है।
नीला वस्त्र-नीला वस्त्र शरीर पर धारण नही करना चाहिए।क्योकि सूर्य की किरणों से यह नील विपरीत रंग होने से सूर्य की किरणों को यह रंग अधिक ही खींचता है।जिससे गर्मी ज्यादा ही लगेगी।नील वस्त्र से छन कर आयी हुई गर्मी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है तथा सफेद वस्त्र पर सूर्य की किरणें अपना प्रभाव नही डाल सकती और यदि थोड़ा बहुत प्रभाव जमाती है तो भी वह शरीर के लिए स्वास्थ्य वर्धक ही होती है।इसके लिए सफेद वस्त्र ही धारण करने चाहिए।वस्त्रों का प्रभाव भी मन बुद्धि शरीर पर पड़ता है।सभी की अपनी अपनी वेषभूषा परिधान होता है।उससे समाज पर प्रभाव विशेष पड़ता है।पुलिस,सेना,वकील,जज,भक्त,साधू इत्यादि इन्ही की अपनी अपनी पोशाकें है।जिससे भावनाओं पर सीधा असर पड़ता है।
यह नियम सर्वथा शास्त्र सम्मत,वैज्ञानिक की कसौटी पर खरा उतरने वाला है।
समस्त त्रुटियों के लिए क्षमा याचना👏👏

Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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