भजन विष्णु बतायो जोय

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-परमपिता परमात्मा श्री विष्णु का ही भजन करना चाहिए।
श्री गुरुजाम्भो जी स्वयं विष्णु भगवान के ही अवतार हैं।उन्होंने सतयुग में अपने भगत प्रहलाद को दिए वचन कलयुग में बारह करोड़ जीवो का उद्वार करने के लिए अवतार लिया था।
अनेकानेक सन्तो ने भगतो ने नाम जप के सम्बंध में भिन्न भिन्न राय प्रकट की है।किसी ने राम नाम का जप बताया है तो किसी ने कृष्ण या शिव या अन्य कुछ बताया है।परंतु श्री गुरुजाम्भो जी ने इन्ही परंपरा से हटकर विसन विसन यही जप बताया है।सगुण साकार चाहे राम,कृष्ण,शिव हो ये सभी विसन के ही अवतार हैं।इन्ही सभी का आदि मूल पुरुष परमात्मा विसन ही है।इसलिए एक विसन का स्मरण होने से सभी अवतारों का स्मरण हो जाता है।
“भल मूल सींचो रै प्राणी”
“ज्यूँ तरवर मेलत डालू”
“जइया मूल न सिच्यो तो”
“जामण मरण बिगोवो”

-मूल में पानी सींचने से डालिया पते आदि सभी हरे हो जाते हैं किंतु केवल डालियों पते आदि को सींचने पर मूल हरा भरा नही हो सकेगा।जिसने मूल सत्ता को नही सिंच्चा उसने लोक-परलोक दोनो ही गवा दिये हैं।सभी अवतारों का समवन्य एक विसन में ही हो सकता है।इसलिए विसन जप का ही उपदेश दिया है।जिससे एक का जप करने से सभी के जप का फल मिल जाता है।
“कोई कोई भल मूल सींची लो”
“भल तंत बुझीलो जा जीवन की विध जाणी”
“जीव तड़ा कछु लाहो होसी”
“मुवा न आवत हाणी”

–इस संसार मे विरले मनुष्य ही मूल परमात्मा की खोज कर उसकी आराधना करते हैं।ऐसे लोगो ने मूल तत्व को जान कर जीवन जीने की विधि समझ ली है।इंनको इस लोक में तो लाभ होगा ही मरणोपरांत भी ये किसी योनि में नही आएंगे अर्थात आवागमन से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करेंगे।
“विसन विसन तू भज रै प्राणी “
“बल बल बारम्बारु”

–हे प्राणी ! अपनी सम्पूर्ण दक्षता से बार बार परमात्मा विसन का जप कर।
“विसन विसन भण अजर जरिजै”
“धर्म हुवै पापा छूटीजै”

-परमसत्ता विसन का जप करो तथा काम,क्रोध,लोभ,मोह,अंहकार को नियंत्रण करो इससे धर्म मे वृद्धि होगी और पाप का नाश होगा।
“विसन विसन तू भण रै प्राणी”
“विसन भणता अनन्त गुणु”
“आशा सास निराश भइलो”
“पावो मोख दवार खीणु”

-हे प्राणियों ! तुम परमसत्ता विसन का जप करो,विसन के स्मरण करने पर तुम्हे अंसख्य गुण- लाभ मिलेंगे।
ऐसा करने से सास की आशा से निराश होने (मृत्यु होने पर) के बाद क्षण मात्र में ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी।
“कण विण कूकस कांय पीसो निश्चे सरी न कायो”
-दानो से रहित भूसी को क्यों पीस रहे हो ?
इससे कुछ नही मिलेगा यह निश्चित है।इसलिए आन-देवी देवताओं जन्मे हुए जीवो को छोड़कर सिर्फ एक परमसत्ता विसन का ही स्मरण करना चाहिए।
“जपो रे जिण जप्यो जणीयर”
“जपसी सो जिण हारी”
“लह लह दाव पड़ता खेलो”
“सुर तेतिसा सारी”

-जिसने इस जगत को रचा है, उस जगत पिता का जप करो।संसार मे रहते हुए सावधानी पूर्वक मोक्ष हेतु उपाय करना चाहिए।
“विसन विसन तू भज रै प्राणी “
“इस जीवन कै हावै”
“क्षण क्षण आव घटती जावै”
“मरण दिनों दिन आवै”

— हे प्राणियों ! इस शरीर के रहते हुए आप परम् सत्ता विसन विसन का जप करो इसी से आप का कल्याण होगा।
धीरे धीरे तुम्हारी आयु घटती ही जा रही है एव मृत्यु दिनों दिन नजदीक आ रही है।
“विसन विसन तू भज रै प्राणी”
“पैकै लाख ऊपाजू”
“रतन काया बैकुठे वासो”
“तेरा जरा मरण भय भांजू”

–हे प्राणी ! परमात्मा विसन के नाम का सुमरन करो जिस प्रकार एक एक पैसा एकत्रित करने से लाखो रुपये बन जाते हैं उसी प्रकार यदि तुम विसन का जप करोगे तो तुम्हे अनन्त लाभ मिलेगा।निरंतर विसन जप से आत्मा शुद्ध होकर बैकुण्ठ में निवास करेगी तथा इस आवागमन से छुटकारा मिल जाएगा यानी मोक्ष हो जाएगा।
श्री गुरु जाम्भो जी ने अनेक सबदो के माध्यम से परमात्मा के सुमरन करने का सन्देश दिया है मन के असुरी विकारों का त्याग कर परमसत्ता के सुमरन करने पर मोक्ष की प्राप्ति होगी।यही जीवन जीने की युक्ति है।
समस्त त्रुटियों के लिए क्षमा याचना👏👏

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Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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