

गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।
निवण प्रणाम बिश्नोई समाज की मूल अभिवादन प्रणाली है।प्रतिवचन में “जाम्भोजी नै या गुरु महाराज नै विसन भगवान नै या नारायण नै”कहा जाता है।
“नै” का अर्थ ‘को’ है -श्री गुरुजाम्भो जी को विसन को आदि।।
निवण प्रणाम में नम्रतायुक्त,पूज्यभाव सर्वोपरि है।
इसके अंतर्गत विन्रमता, श्रद्धा, अंहकार शून्यता,स्वयं को छोटा और प्रतिवचन कर्ता को बड़ा समझना,आदर और आत्मैक्य -ये सभी भाव मिले-जुले रूप में प्रकट होते हैं।
इसकी पुष्टि प्रतिवचन से होती है जिसका आशय है -ऐसे वचन तो श्री जाम्भोजी, गुरु महाराज और विसन के प्रति कहो।श्रद्धापूर्वक ऐसे भाव (प्रार्थना या उपासना के रूप में) विसन या परमात्मा के प्रति प्रकट करने को “निवण”कहते हैं।
सबद नम्बर 30 की उक्ति
“नविये नवणी खविये खवणी”
“जरिये जरणी करिये करणी”
“तो सीख हुआ घर जाइये”
“अहनिश हुआ धर्म धुर पुरो”
“सुर की सभा समाइये”
–जो पुरुष अत्यन्त नम्र है, क्षमाशील है, काम,क्रोध जिसके वश में है, इंद्रियों पर नियंत्रण करने वाला है तथा सुकृत करता है वही बैकुण्ठ जा सकता है यही सबसे बड़ा धर्म है।
समस्त त्रुटियों के लिए क्षमायाचना👏👏
गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।
Discover more from Bishnoi
Subscribe to get the latest posts sent to your email.