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भीलवाड़ा जिले की मांडल तहसील के समेलिया गांव के पास मेजा बांध क्षेत्र में स्थापित यह बिशनोई मन्दिर श्री गुरु जम्भेस्वर भगवान् की अष्ट धामो में से एक हे ! वि.सं.1637 में निर्मित यह विशाल मन्दिर बिशनोई समाज की अमुल्य धरोहर यह हे! इस मंदिर का निर्माण महन्त अज्ञानदास जी ने करवाया था ! इस मन्दिर की नीव की गहराई उनीस गज हे! एव उंचाई इकीश गज हे! मन्दिर का घेरा पचास फुट लम्बा चोडा हे! चारों और की दिवार की चौड़ाई साढे तिन फुट हे ! मन्दिर परिसर में श्री गुरु जम्भेस्वर भगवान का मंदिर नोबतखाना,रथवान,घुडसाल ,सूरज पोल दरवाजा बना हुआ हे! मन्दिर के चारो और दिवार का पर कोटा बना हुआ हे मन्दिर में अति आकर्शक रंगीन चित्रकारी की हुई हे यहाँ पर मन्दिर के नाम एक सौ छीयासी बिघा भूमी हे चार सो वर्षो से भी अधिक पौरणिक यह मन्दिर बिशनोई समाज की एतिहासिक धरोहर होने के साथ बिशनोई समाज का आस्था स्थल हे ! और मन्दिर के पास में जम्भ सरोवर हे और जम्भ सरोवर का निर्माण गुरु जम्भेस्वर भगवान ने ये पवित्र सरोवर खुदवाया था जो जम्भ सरोवर के नाम से प्रसिद्ध हुआ जिसमे महाराणा सांगा की माता जाली रानी मेले में आयी थी और उन्होने जम्भ सरोवर की पैड़िया बनवायी जो आज भी मौजुद हे यह जम्भ सरोवर उतना हे पवित्र हे जितनी गंगा नदी !इसे सरोवर में स्नान करने से आदमी मौक्ष को प्राप्त हो जाता हे मन्दिर निर्माण के पशचात से यहा पर प्रतिवर्ष दो विशाल मेले भरते थे! समय के साथ इस मंदिर की यवस्थाये डगमगाने लगी !मेजा बाँध के डूब क्षेत्र में आने के कारण मन्दिर को बहुत नुकसान हुआ ! मन्दिर में पूजा अर्चना बंद हो गये ! पानी में डूबने के कारण मन्दिर की धराशही होने की कगार पर पहुंच गया ! लगभग 11 साल पूर्व ब्रहालीन स्वामी चंद्रप्रकाश जी के शिष्य महन्त स्वामी भगवान प्रकाश जी ने यहां आकर पूजा अर्चना व मन्दिर सरक्षण का कार्य अपने जिम्मे लिया ! स्वामी जी के प्रयास से यहा एक ट्रस्ट की स्थापना की गये व जन सहयोग से मंदिर की जीणॉद्धार की योजना बनाई गये ! परकोटे की दीवारो का पुनः मन्दिर व अन्य ईमारतो की मरमत तथा मन्दिर परिसर में मीट्टी का भराव करवाना आदि कार्य इस योजना में शामिल किये गये हे!!!!!!!!!!!!
जो भी जानकारी थी जो बता दी !और भी कोई गलती हो गयी हो तो छोटा भाई समझ के माफ़ कर देना
भरत राम पुनिया
समेलिया धाम
तहसील -माणडल
भीलवाड़ा
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