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“दोहा”
मुला सधारी यूं कहै, महंमद ही फुरमान।
रोजे रखे निवाज पढ़े, बंदगी करै साहब तेहि मान
सबद 112 को सुनकर मुल्ला कहने लगा — आप ऐसी बातें क्यों कहते हैं जिससे हमको दुःख होता हैं हम तो मुहम्मद साहब का फरमान स्वीकार करते हैं। रोजे रखते हैं नबाज पढ़ते हैं ऐसी हमारी बंदगी जरूर स्वीकार होगी हम लोग नर्क में कैसे गिर सकते हैं तब भगवान जांभोजी ने सबद 113 सुनाया
सबद — 113
ईमा मोमण चीमा गोयम, महंमद फुरमानी।
शब्दार्थ —
ईमा–ईमान
मोमण–जो खुदा की इबादत करता हो (भक्त )
चीमा–पहचान
गोयम–गूढ़ रहस्य
महंमद–मुहम्मद
फुरमानी –फरमान,आदेश
सरलार्थ –हे खुदा की इबादत करने वाले मुल्ला सिधारी मुहम्मद साहब ने जिस गूढ़ रहस्य के बारे में फरमाया है उसकी तुम्हें पहचान नहीं
उरका फुरका निवाज फरीजा खासा खबर विनाणी
शब्दार्थ —
उरका–हृदय
फुरका–स्फुरण
निवाज–नवाज
फरीजा–पढ़ना
खासा–खास
खबर–खबर
विनाणी–फिर लौट कर नहीं आना/ विनाश रहित
सरलार्थ –मुहम्मद साहब के अनुसार तो हृदय में ही नवाज का स्फुरण करना चाहिए यही तुम्हारे लिए खास खबर है कि तुम हृदय में ही उस परम तत्व का स्फुरण करो यदि तुम इस प्रकार से नमाज अदा करोगे तो फिर दोबारा लौटकर संसार में नहीं आओगे।
इला रास्ती ईमा मोमन मारफत मुल्लाणी
शब्दार्थ —
इला–अलग
रास्ती–रास्ता,मार्ग
ईमा–ईमान
मोमन–खुदा की इबादत करने वाला (भक्त)
मारफत–के द्वारा
मुल्लाणी–मुल्लाओं
सरलार्थ –हे मुल्ला सिधारी❗ जिस मार्ग पर तुम चल रहे हो वह मार्ग मुहम्मद ने नहीं बतलाया मुहम्मद साहब के अनुसार तो वही सच्चा मुसलमान है जो खुदा के बताएं हुए मार्ग पर चले और हृदय में एकाएक भाव से परमात्मा का स्मरण करें श्री देव जी कहते हैं कि यही सत्य युक्त बात मुल्लाओं और मौलवियों के द्वारा बतलाई जानी चाहिए।
🙏🏻–(विष्णुदास)
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