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*चोईस चेडा कालिंग केडा*
गाँव रोटू में साहणिया नाम का एक व्यक्ति था, उसे एक चेड़ा चिप गया।वह प्रेत अपनी शक्ति के बल पर साहणिया के माध्यम से अनेक प्रकार के चमत्कार दिखाने लगा। प्रेत-ग्रस्त साहणियां अपने आप को जांम्भोजी का बड़ा भाई कहकर,लोगों को भ्रमाने लगा। उसने लोगों से कहा कि जाम्भोजी के पास जाने की आवश्यकता नहीं है।चहमें-चहमें मंत्र का जाप करो,पहले पानी पीवो,फिर स्नान करो।भक्तजनों के कहने से गुरु जंभेश्वर महाराज उसके पास रोटू गये। उसकी परीक्षा ली। उसने जामोजी के पूछने पर बताया कि इस समय मुल्तान नगर के द्वार पर तो घोड़े दौड़ रहे हैं।लंका के द्वार पर एक मालीन बैठी है, जिसकी ओडी में 4 निंबू पड़े हैं। गुरु महाराज जान गये कि प्रेत के स्थान, सिद्ध स्थली पर बैठने के कारण प्रेत इसमें प्रवेश कर गया है।प्रेत पूर्व जन्म का एक प्रसिद्ध तांत्रिक था। भक्त लोगों ने जब उन चमत्कारों के विषय में जानना चाहा,तब गुरु महाराज ने यह शब्द कहा:-
*चोईस चेड़ा कालिंग केड़ा इधक कलावतं* *आयस्यै*
हे लोगों कलियुग में (भविष्य में) चौबिस प्रकार के भूत प्रेतादि की साधना करने वाले अनेक पाखण्डी कलाबाज उत्पन्न होंगे। और वो अपनी कलाबाजियो से लोगों को भ्रमित करेंगे।
*वैफेर आसन मुकर होय बैसेला नुगरा* *थान रचायस्यै*
ईश्वर से विमुख आसन लगाकर बैठेंगे।ऐसे गुरु ज्ञानहीन, मूर्ख, निगुरे,अनेख स्थानों पर अखाडे बना कर,झूठे सिद्ध पीठ स्थापित करने का ढोंग रचेंगे।
*जांणंत भूला महापापी बहु दुनियां भुलायस्यै*
ऐसे महापापी लोग अपने चम्तकारो की शक्ति का रहस्य जानते हुए भी अज्ञान में भुल कर भोली भाली दुनिया को भ्रमित करते रहेंगे।
*दिल का कुड़ा कुड़ीयारा उपंग बात* *चलायस्यै*
वे दिल के झुठे मिथ्यावादी लोग, झूठी,अनोखी चमत्कारी बातें फैलाकर,भोले भाले लोगों को बहकाएँगे।
*गुरू गहणां जो लेवै नाहीं दशबंध घर* *बोसायस्यै*
वे गुरु के वचनों को न मान कर अपनी कमाई का दसवां भाग भी अपने घर में रख लेंगे
*आप थापी महापापी दगधी परलै जायस्यै*
अपनी स्वार्थ सिद्धि करने वाले और दूसरों को दुख देने वाले महापापी नरक में जायेंगे
*सतगुरु के बेडै़ न चढ़ै गुरू स्वामी* *न भायस्यै*
ऐसे लोग जो सतगुरु की ज्ञान रुपी नौका में सवार नहीं हुए।उन पर गुरु एवं परमपिता परमेश्वर की कभी कृपा नहीं होगी और ऐसे लोग परमात्मा को कभी अच्छे नहीं लगते।
*मंत्र बेलु रिद्धि सिद्धि करस्यै देदे कार* *चलायस्यै*
ऐसे लोग अपने मैले मंत्रों के बल से अनेक प्रकार की सिद्धि एवं चमत्कार दिखाएँगे।पानी की कार दिलाकर खेल रचेंगे।
*काठ का घोड़ा निजीवता सरजीव करास्यै* *तांनै दाल चरास्यै*
लकड़ी के निर्जीव घोड़ों को संजीवित करेंगे और उसको दाल चराने का भी चमत्कार क्षकर दिखाएँगे।
*अधर आसन मांड बैसैंला मुवा मड़ा* *हंसास्यै*
वे अधर आसन लगाकर बैंठेगे ओर मरे हुए शवों को हंसायेंगे
*जां जां पवन आसण पाणी आसण* *चंद आसण सुर आसण*
अनेक प्रकार के आसन लगाकर पवन ,पानी, चंद्रमा, और सूर्य को वश में करने का ढोंग करेंगे
*गुरू आसण समराथले कहे सतगुरु* *भुल मत जाइयो पड़ोला* *अभै दोजखै*
गुरु का आसन तो केवल समराथल पर ही है ।यहाँ बैठकर परम तत्व, आत्मा का सच्चा, गुरु ज्ञान ग्रहण करो।यह हमारा आदेश है।इसे कभी भूल मत जाना अन्यथा भयानक नरक में पडोगे।
क्षमा सहित निवण प्रणाम
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*जाम्भाणी शब्दार्थ व जम्भवाणी टिका*
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