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एक संघर्षशील और समाजसेवी इंसान आईजी रेंज कार्यालय में कार्यरत #ASI Mr. Anil Bhambhu जी,
जो कि 2012 में ब्लड कैंसर की बीमारी का शिकार हो गए थे, और उनको पता चला तो वह घबराए नहीं आज उन्हें 6 साल हो गए हैं, इस बीमारी से लड़ते हुए,
आज तक वह कभी इस बीमारी से घबराए नहीं और हमेशा समाज सेवा के लिए आगे आए,
मेरी मुलाकात इन से जनवरी फ़रवरी 2018 में बड़े भाई Joginder Khileri Kharakheri के माध्यम से हुई थी,
उस समय माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए जा रहा था और आर्थिक मदद की मुझे जरूरत थी इनसे मिलने के बाद मुझे इनके बारे में पता चला,
जब इन के बारे में मुझे पता चला कि इनको ब्लड कैंसर है तो एक बार मन में बहुत सारे सवाल उठे,
आज के दौर में जहां लोग विकट परिस्थितियों का सामना करने की बजाय मायूस हो जाते हैं और थक कर जीवन में हार मान लेते हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी जिंदादिली और जोश के बल पर बड़ी से बड़ी मुसीबतों पर पार पा लेते हैं,
जब इनको 2012 में ब्लड कैंसर के बारे में पता चला तो ये घबराए नहीं और ना ही ये मायूस हुए और ना ही इन्होंने नौकरी छोड़ी और साथ-साथ इन्होंने समाज सेवा करने की सोची(यह काम करना है इतना एहसान नहीं है)
इन्होंने सोचा ही नहीं बल्कि इन्होंने समाज सेवा की भी है इन्होंने व्हाट्सएप पर #बिश्नोई_सभा_हरियाणा के नाम से व्हाट्सएप ग्रुप इनका बनाया हुआ है,
जिसके माध्यम से मुझे माउंट एवरेस्ट जाने के लिए तन मन और धन से इन्होंने मेरा सपोर्ट किया और करवाया,
जब मैं माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए नेपाल चला गया था तो माउंट एवरेस्ट अभियान की 6 अप्रैल 2018 को शुरुआत हो चुकी थी,
तो मैं इनको बीच बीच मे जहां हमे नेटवर्क मिलता था तो में इन को फोन करके इनसे बात करता था, हालचाल पूछता था,
तब दिमाग में मेरे ऊर्जा का विकास होता था मुझे इनसे प्रेरणा मिलती थी,
क्योंकि एवरेस्ट जाने से पहले काफी लोग मुझे यह बोलते थे कि माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करना इतना आसान नहीं है,
जितना उसके बारे में सोचना, यह पहाड़ दूर से दिखता तो अच्छा है पर जब इसके ऊपर चढ़ाई करते हैं तो पता भी नहीं चलता इंसान कहां समा जाता है,
तुम्हारे पास तो पहाड़ों के बारे में 2 महीने का ही सिर्फ ज्ञान है इतना तो आपके पास एक्सपीरियंस भी नहीं है,
कभी तुम 5000 मीटर से कभी ऊपर गए हो नहीं और आज आप माउंट एवरेस्ट जाने की बात कर रहे हो वह भी घर से ₹2500000 लगाकर,
उस समय मेरा मन मायूसी सा हो जाता था और जब मैं अनिल जी के बारे में सोचता था तो मुझे उनसे प्रेरणा मिलती थी,
क्योंकि वह ब्लड कैंसर की बीमारी से लड़ रहे हैं उसके बावजूद भी उन्होंने कभी जीवन में हार नहीं मानी तो मुझे भी नहीं माननी चाहिए,
अनिल जी अपनी जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं तो तुझे भी इन परिस्थितियों से लड़ना चाहिए इसी प्रकार मुझे प्रेरणा मिलती रही,और मैं आगे बढ़ता रहा,
16 मई 2018 को विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर 8:21 पर देश की आन बान शान तिरंगे झंडे को विदेशी धरती पर लहराया,
बिश्नोई समाज के गुरु जंभेश्वर भगवान की ध्वजा को भी विश्व की सबसे बड़ी चोटी पर लहराया,
जब मैं 21 मई 2018 को ऊपर चोटी से वापस बेस कैंप पर पहुंच गया था तो सबसे पहले मैंने मेरी बड़ी बहन Vikas Rana को भाईAshok Shukal को इंडिया फोन किया था ,
फिर मैंने अनिल जी को फोन किया उन्होंने मुझे बधाई दी और मैंने भी उनको बधाई दी और हमने एक दूसरे का हाल चाल साझा किया,
मुझे इनसे बात करके बहुत खुशी हुई मैं इनको अपना प्रेरणास्रोत मानता हूं और अनिल जी हमेशा मेरे प्रेरणा स्त्रोत रहेंगे,
मैं समाज के हर नागरिक को यही मैसेज देना चाहूंगा कि समाज में काम ऐसा करो समाज सेवा ऐसी करो की दूसरे लोग आपके बारे में अच्छा लिखें आपके बारे में अच्छा सोचें,
इनको मैं धन्यवाद तो नहीं बोलूंगा क्योंकि धन्यवाद इनके आगे यह शब्द बहुत ही छोटा है,
मैंने इनके लिए कुछ करने की सोची हैं मैं अब आपको तो नहीं बताऊंगा ना ही इनको पर करने के बाद ही आप सभी को जरूर बताऊंगा,
क्योंकि वह बात अब बताने में मजा नहीं रहेगा करने के बाद बताने में उस चीज का बहुत ज्यादा महत्व भी होगा और बताने में मजा भी आएगा,
मैं #अनिल_जी_भांभू से यही विनती करूंगा कि वह हमेशा दूसरों के लिए अपनों के लिए जीवन को जीए, खुश रहें और आगे बढ़ते रहें, आप पर हम सब को गर्व है,
#गुरु_जंभेश्वर_भगवान से भी प्रार्थना करते हैं कि आप दिन दोगुनी रात चौगुनी उन्नति करो और आपको और आपके पूरे परिवार को खुश रखे!
Words of my heart = रोहिताश खिलेरी कमाडों
— feeling proud.
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