Chartered Accountant(CA) सीमा बिश्नोई की कहानी उन्ही की जुबानी

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CA SEEMA BISHNOI

मैं सीमा भारमल पंचदेवी बिश्नोई हूँ जिसने CA का एग्जाम क्लियर कर अपने मम्मी पापा का नाम रोशन किया है और गरवान्तित महसूस कराया है .आप भी ये सब कर सकते हो पर उसने लिए मेहनत और सब्र रखना पड़ेगा .
हम मेरे पापा मम्मी की 4 बेटियां और 1 भाई है , 4 बेटियां होने क बाद भी उन्होंने हमे हमेशा प्रोत्साहित किया पढ़ने के लिए और अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए . पापा की यही सोच पर लोगो ने बहुत ताने मारे , कहा की ये भारमल लड़कियों के प्यार में अँधा हो गया है ,
ये लड़किया इसको कही का नहीं छोड़ेगी , इनको पढाके क्यों पैसा खर्च कर रहे है , ये तो पराया धन है इनको ससुराल जाना है इनको पढ़ा कर तुम्हे कुछ ना मिलेगा और भी बहुत कुछ कहा , पर मेरे पापा ने कभी हार नै मानी और न ही हमे प्यार करना काम किया बल्कि वो तो लोगो का विरोध करते रहे और यही कहते रहे की मेरे लिए मेरी बेटियां और बेटे में कोई फर्क नहीं वो सब ही मेरे बेटे है और मुझे उनपे गर्व है .
मेरी ज़िंदगी आरम्भ होती है जब मैं अपना ग्रेजुएशन (B.com) पूरा कर लिया था , तब मेरे पापा को मेरी शादी करने के लिए मजबूर किया गया . तब मेरे पापा ने मुझसे एक बात कही जिसने मुझे ज़िंदगी जीने का अलग तरीका बताया . वो बात थी के बेटी अब हमारा काम है वो ख़त्म होता है , तुम्हारे पास अब 2 रस्ते है या तो तुम पढ़ो अपना नाम रोशन करो अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास करो या तुम शादी करो .लेकिन तुम्हारा जो फैसला होगा सोच समझ कर लेना , एक निर्णय तुम्हारा भविष्य तय करेगा .
तब मैं शादी क लिए बिलकुल तैयार नहीं थी , तो मैंने आगे पढ़ने का निर्णय किया , पर मुझे नहीं पता था मैंने आगे क्या पढ़ूगी ,मैंने पापा से पूछा मैं क्या पढू तब पापा ने कहा CA कर ले . मैं ये सुन कर चकित हो गई और मैंने पापा को मना कर दिया CA करने के लिए , क्यूंकि मुझे पता था इसको पास करने क लिए बहुत ज्यादा मेहनत की जरुरत होती है .
पापा ने मुझे समझाया की बेटी मुश्किल कुछ नहीं होता जब आप कोई चीज़ ठान लेते हो करने की , 4 5 साल की मेहनत के बाद आपको इसका फल मिलना ही मिलना है .ये सारी बातें सुन कर मैंने खुद को रेजिस्ट्रेड कराया और IPCC की एग्जाम दी , पर मैं तब तक निश्चिन्त नहीं थी कि मैं कर पाउगी. IPCC का रिजल्ट आया पर मैं उसमे फ़ैल थी ,पर भगवान को कुछ और ही मंजूर था इसलिए मुझे एक सब्जेक्ट में exemption (छूट) दिलवा दिया , ca में exemption का मलतब , कोई भी सब्जेक्ट में अगर आपके 60 या 60 से ज्यादा मार्क्स है तो वो पेपर आपको अगले एग्जाम में नहीं देना होता है , इसका मतलब 7 पेपर्स में से मुझे सिफर 6 ही देने थे .
धीरे धीरे मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ता गया मैंने फिर परीक्षा दी मेरा 1 ग्रुप पास हुआ फिर एग्जाम दी तब मेरा 2 ग्रुप पास हुआ .
अब मैं CA के एक कदम और करीब आ गई थी . फाइनल्स की कोचिंग ली और जोरो शोरो से तैयारी में लग गयी .तैयारी की बीच में जितने भी त्यौहार आये सब भूल कर सिर्फ पढाई ही की और एग्जाम दी . मेरे पेपर्स बहुत अच्छे गए थे तो मैं खुश थी मुझे लग रहा था की मैं पास हो जाउंगी ,पर शायद यह भगवान को मनजूर नहीं था , मेरे पेपर्स जितने अच्छे गए मार्क्स उतने ही बुरे आये और मैं फ़ैल हो गई .
मेरे घर में मेरे पापा क कजिन की डेथ हो गई और मेरा ये रिजल्ट सुन क हम एक दम से टूट गए थे . पापा क कजिन की डेथ एक एक्सीडेंट में हुई थी तो लोग पापा को बोल रहे थे की ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं है आज है कल नहीं , तू कब कराएगा लड़कियों की शादी , पता नहीं कल क्या हो जाये वैसे ही फालतू कि बातें |
वहाँ सब निपटा कर हम मुंबई वापस आये , तब पापा ने बताया लोगो ने क्या क्या बात की ,तब मैं शादी के लिए तैयार हो गई ये सोच के कि लोगो का मुँह तो बंद होगा कम से कम . मेरी एग्जाम के कुछ महीने बाद की शादी की तारीख तय हुई .मैंने फिर से पढाई शुरू की और मेरी मम्मी मेरे हिस्से की शादी की तैयारियों में लग गई .शादी की तैयारियां और एग्जाम की तैयारी करते करते मेरी एग्जाम भी आ गई , मैंने एग्जाम दी और मैं भी मम्मी पापा को शादी की तैयारियों में हाथ बटाने लग गई .
इस बार रिजल्ट को लेकर मैं बहुत टेंशन में थी क्यूंकि रिजल्ट की डेट मेरे शादी की डेट के 3 दिन पहले की थी . मेरे दिमाग में यही चल रहा था की अगर मैं फ़ैल हो गई तो ? मेरी पूरी शादी खराब हो जाएगी .
मुझे आज भी याद है रिजल्ट वाले दिन मेरे हाथ में मेहँदी लग रही थी , मुझे खबर मिली की रिजल्ट आ गया ह . मेरे हाथ कांपने लगे , मेहँदी वाली बोल रही थी मैडम प्लीज आप हाथ मत हिलाओ इतना , तब मैंने उसको बोला के आप थोड़ा आराम कर लो आधा घंटा बाद लगाना मुझे मेहँदी . मैंने लैपटॉप खोला वेबसाइट पर गई रोल नंबर वगेरा सब डाला तब पता चला ICAI का सर्वर डाउन है , रिजल्ट किसी का नहीं दिख रहा , 4 5 बार कोशिश किया पर सर्वर की प्रॉब्लम की वजह से रिजल्ट नहीं दिख रहा था ,
मेरा टेंशन और बढ़ गया , इतने में मेरी एक फ्रेंड का व्हाट्सएप्प आया की वो फ़ैल हो गई , ये सुन कर मेरी रोने जैसी हालत हो गई थी मैंने उसको रिक्वेस्ट की और बोलै प्लीज तू मेरे रिजल्ट देखेगी यहाँ शायद नेटवर्क कि प्रॉब्लम है . वो बहुत मुश्किल से मानी रिजल्ट देखने के लिए , अब मैं उसके मैसेज का बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी कुछ 10 मिनट बाद उसका मैसेज आया SEEMA YOU CLEARED GROUP 2 . मेरी आंख में ख़ुशी के आंसू आ गए क्यूंकि मैं CA के एक और कदम नज़दीक आ गई थी .
हसीं ख़ुशी से शादी की सारी रस्म और भगवन की पूजा करने क बाद हम आए मुंबई . मुझे फिर से एग्जाम देनी थी क्यूंकि मेरा एक ही ग्रुप क्लियर हुआ था एक बाकि था . लेकिन ससुराल में पढ़ना बहुत ही ज्यादा मुश्किल होता है . तब मेरे ससुर किशनलाल जी भादू ने मुझसे कहा कि बेटा आपकी एग्जाम कब है आपको पढ़ना नहीं है क्या, कब से पढ़ाई शुरू करोगे ये साड़ी बातें सुन कर मेरी आंख मेरे आँशु आने लग गए . क्यूंकि मैंने सुना था ससुराल जाने क बाद पढाई नहीं होती सरूरल वालो को प्रॉब्लम होता है पर मेरे केस में तो बिलकुल उल्टा था .
मुझे यह महसूस हुआ की भले ही ये मेरे ससुर है पर इनकी भी सोच मेरे पापा जैसी है , उन्होंने तुरंत मुझसे पूछा बेटा आप कहाँ पढोगे , जहाँ आपसे पढाई होती है आप वह रुको आप पर कोई पाबन्दी कुछ नहीं है बस मन लगा कर पढ़ो हमे बस यही चाहिए .मैंने सारा कैलकुलेशन करके उन्हें बताया कि मुझे 2 महीने चाहिए पढ़ने के लिए और मैं मायके जाउंगी पढ़ने यहाँ मुझसे नहीं होगी पढाई . मेरे ससुर मान गए और मैं फिर से पढ़ने के लिए मायके आ गई .
सारी बुक्स निकाली और मैंने पढाई करके एग्जाम दी , मेरे पेपर अच्छे नहीं गए थे मुझे पता है कि रिजल्ट ख़राब आने वाला है , जब रिजल्ट फ़ैल का आया तब मेरे पापा बहुत दुखी हुए उनको इस बात का पछतावा था की इसकी शादी के वजह से यह ध्यान नहीं दे पायी जबकि ऐसा कुछ नहीं था . मेरे ससुराल वाले भी काफी दुखी थे पर मेरे ससुर ने मुझे समझाया बेटा कोई बात नहीं सफलता आसानी से किसी के पास नहीं आती , उसे हासिल करना पड़ता है और आप पढ़ कर ही उसे हासिल कर पाओगे .
इस बार मैंने ससुराल में ही रहकर पढ़ने का सोचा . वहाँ पढ़ कर मैंने एग्जाम दी पर इस बार भी रिजल्ट फ़ैल आया . मैं बहुत रोई क्यूंकि मेरी मेहनत कही नहीं दिख रही थी . फ़ैल वर्ड ने मेरी पूरी मेहनत बर्बाद कर दी थी . मैंने ठान लिए था कि मुझे अब एग्जाम नहीं देना है , मुझसे नहीं होगा ऊपर से लोग बाते करने लग गए थे कि ये सिर्फ बहाना करती है पढ़ने का काम से बचने क़े लिए , मैं इन सारी बातों से ऊब चुकी थी .
कुछ दिन क़े लिए मुझे बाहर भेजा गया ताकि मेरा मूड ठीक हो , मैं ये सब भूला पाऊ , जब वापस आयी तब पापा ने मुझे समझाया की बेटा आपने इतने साल मेहनत की अब जब आप सफलता से एक कदम दूर हो तो आप हार मान रही हो , हमको हारना नहीं है सबर से काम लेना है . अब एक दम नयी शुरुआत करो , ऐसे पढ़ो जैसे आपने पहले कभी पढ़ा ही नहीं है , होना क्या था पापा की बात सुन कर तैयारी में लग गई . एग्जाम आयी एक्साम्स अच्छे गए थे पर ICAI का कोई भरोसा नहीं है क्या रिजल्ट आएगा .
रिजल्ट की डेट डालर हुई 17 jan 18 ,मैंने पापा को बताया नहीं क्योकि पापा की बिज़नेस ट्रिप था 16 jan को और अगर मैं बताती कि रिजल्ट आ रहा है तो वो रुक जाते , और रुकने क़े बाद फ़ैल रिजल्ट आया तो मैं क्या करुँगी ये सोच कर मैंने उनको नहीं बताया . रिजल्ट वाले दिन मैंने मम्मी को बताया की आज मेरा रिजल्ट है . अब मैंने मम्मी को बता तो दिया की आज मेरा रिजल्ट है लेकिन मुझसे ज्यादा टेंशन मम्मी को . हर आधे घंटे में रूम में आती और मेरे फेस की तर्ज देखती की कही ये रो तो नहीं रही . हर बार रिजल्ट 2 बजे तक आ जाता था पर इस बार टाइम 8 बजे रखा गया . थोड़े टाइम बाद पता चला रिजल्ट आ गया है . अब कांप रहे है मेरी हिम्मत बिलकुल नहीं हो रही थी .
मैंने फिर से फ्रेंड को बोलै प्लीज तू मेरा रिजल्ट देख कर बता क्या आया है . वो मान गयी अब मैंने उसके मैसेज का इंतेज़ार कर रही थी . 10 मिनट बाद उसका मैसेज आया मेरी हार्टबीट बढ़ गई अब मैसेज कैसे खोलू . मैंने आंख बंद की और फ़ोन की स्क्रीन पर टेप किया , आंख खोली तब मुझे विश्वास नहीं हुआ मैसेज था ”CA SEEMA BISHNOI”. है मैं इस बार पास हो गई मैंने कर दिखाया और उन सब का मुँह बंद किया जिसने मुझे ये कहा कि तुम नहीं कर पाओगी .
मैंने पापा को फ़ोन करके बताया क़े आपकी बेटी अब सिर्फ सीमा नहीं रही वो CA सीमा बन चुकी है . उनकी ख़ुशी की ठिकाना नहीं रहा वो रोने लग गए थे . तब मुझे ऐसा लगा की काश मैं रोक लेती पापा को जाने से .
मेरे लिए मेरे मम्मी पापा ने वो किया है जो किसी के पेरेंट्स ने नहीं किया होगा मेरा CA SEEMA बन ने क़े पीछे उनका मुझ पर विश्वास और पेशेंस था .मुझे हर तरफ से सपोर्ट मिला मेरे पति से सास ससुर से इसलिए आज मैं ये मुकाम पर पहुंची हूँ .
मैं ये कहना चाहती हु कि बेटा हो या बेटी होते तो हम आपके ही बच्चे है तो भेदभाव क्यों . अगर बेटा आपका नाम रोशन कर सकता है तो बेटी भी कर सकती है उसे भी आपका सपोर्ट मिलना चाहिए . यकींन नहीं होता तो एक बार उनको पढाई क लिए मोटीवेट करना और जब वो अपना नाम कमा लेगी तब आप ही सबसे ज्यादा खुश होंगे जैसे आज मेरे पापा .है .

Written By CA SEEMA BISHNOI (in English). 

Translated into Hindi by Manju Beniwal and  Er. Sanjeev Moga Bishnoi (App Developer) 

Thanks TO SEEMA JI For being so kind and cooperative.You are source of inspiration.

God bless you.   

 

 

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Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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