जाम्भाणी संत सूक्ति

परमानन्दजी वणियाल

जो करता सोइ भोग्यता,
आडो आवत सोय।
अपणौ कीयो भोगवै,
हरि कूं दोस न कोय।

भावार्थ

जीव जैसा कर्म करता है वैसा ही उसे फल मिलता है, अपने बुरे कर्मों का फल भोगते समय भगवान को दोष नहीं देना चाहिए।

Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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