69648528 642046616282790 7077355880395571200 n

500 साल पुराना ‘ग्रीन कोड’: बिश्नोई दर्शन और आज का संकट


क्या आज की दुनिया, जो जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की भयावहता पर बहस कर रही है, 500 साल पहले दिए गए एक ‘ग्रीन कोड’ को नजरअंदाज कर रही है?
आज हम गुरु जंभेश्वर द्वारा दिए गए बिश्नोई धर्म के 29 सिद्धांतों में से एक पर बात करेंगे: ‘अहिंसा परमो धर्मः’ (Non-Violence), जो विशेष रूप से प्रकृति के प्रति लागू होता है। गुरु जंभेश्वर ने 15वीं शताब्दी में, जब भारत पर राजनीतिक उथल-पुथल और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन का दौर था, यह सिद्धांत दिया कि सभी जीवों के प्रति दया और सम्मान आवश्यक है। यह केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं था, बल्कि वृक्षों और वन्यजीवों तक फैला हुआ था।

21वीं सदी में इसका ‘सो व्हाट’ (So What?) अत्यंत प्रासंगिक है। आज हम जैव विविधता के नुकसान (Biodiversity Loss) और पारिस्थितिकीय संकट (Ecological Crisis) से जूझ रहे हैं। बिश्नोई समुदाय का यह सिद्धांत—जो पेड़ों को काटने और शिकार करने पर कठोर प्रतिबंध लगाता है—आज कॉर्पोरेट लालच और अनियंत्रित विकास के सामने एक नैतिक कवच का काम करता है। यह हमें याद दिलाता है कि ‘विकास’ की परिभाषा में प्रकृति का विनाश शामिल नहीं हो सकता। यह एक ऐसा ‘ग्रीन एथिक्स’ है जो आज की सस्टेनेबिलिटी (Sustainability) की बहस का मूल आधार बन सकता है।

निष्कर्ष (Takeaway):
बिश्नोई दर्शन सिखाता है कि प्रकृति की रक्षा करना कोई सामाजिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि अस्तित्व की पहली शर्त है।


Discover more from Bishnoi

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
Articles: 807