

श्री जम्भेष्वर भगवान के परम शिश्य स्वामी विल्होजी ने कहा है –
जीव दया नित राख पाप नहीं कीजिए ।
जांडी हिरणं संहार देख सिर दीजिए।
बिशनोई समाज ने अपने धर्मगुरू की इन बातों की पालना बखूबी की है और आवष्यकता पडने पर अपनी जान तक देने में पीछे नहीं हआ है ।
आज के इस भौतिक चकाचौंध के युग में जहां भाई को भाई के लिए समय नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर बिशनोई समाज आज भी इन निरीह मूक वन्य प्राणियों के नजदिक इनके प्राणों की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर रहा है।