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कुपात्र कू दान जु दीयों जाणे रैण अंधेरी चोर जु लीयो*

कुपात्र को दिया गया दान जैसे अंधेरी रात मैं चोर द्वारा चुराये गये धन के समान है

*चोर जु लेकर भाखर चढ़ियो*
*कह जीवड़ा तै कैने दीयों*

कुपात्र उन चोरों के समान है जो सामान चुराकर पहाड़ों में छुप गया हो उसको दिये गये दान का फल नहीं मिलता है हे जीव बता तूने दान किसको दिया है

*दान सुपाते बीज सुखेते*
*अमरत फूल फलीजे*

अतःदान सदैव सूपत्रों को देना चाहिये सुपात्र को दिया गया दान उन बीजों के समान है जो उपजाऊ खेतों में बोये जाकर अमृत के समान फलित होता है

*काया कसोटी मन जोगूटो*
*जरणा ढांकण दीजै*

शरीर को ज्ञान की कसौटी पर लगाओ मन को योगी बनाओ और काम क्रोधित के ऊपर ज्ञानरूपी ढक्कन दे दो वंश में कर लो

*थोड़े माही थोड़े रो दीजै*
*होते नाह न कीजै*

यदि पास में थोड़ी वस्तु है तो मांगे जाने पर थोड़ी उसको भी दो होते हुए इन्कार मत करो

*जोय जोय नाम विसन के बीजे*
*अनन्त गुणा लिख लीजै*

जो भी वस्तु निष्काम भाव से भगवत अर्पण कर दी जाती हैं वह अनंत गुना होकर वापस मिलते हैं

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Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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