

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
टुका पाया मगर मचाया
कनफाडे़ नाथपंथी जोगियों की जमात को जब श्री जंभेश्वर महाराज ने योग सिद्धि के चमत्कार दिखाना, योग का उद्देश्य न बतलाकर पेट पालने का पाखंड और बाजीगरी बतलाया, तब मृगीनाथ ने पुनः कहाकि वे कोई चलते-फिरते तमाशबीन नहीं है। उन्होंने भी अपने गुरु से योग की शिक्षा पाई है।वे भी सच्चे योगी हैं। उनकी गुरु दीक्षा की बात सुन गुरु महाराज ने उसे यह शब्द कहा:-
टुका पाया मगर मचाया ज्युं हंडिया का कुता
हे जोगी!तुम माँग कर रोटियाँ खाते हो और इधर-उधर समाज में व्यर्थ की बकवास करते भोले भाले लोगों को अपने चमत्कारों का भय दिखाते,उसी प्रकार भागते फिर रहे हो,जैसे कोई कुत्ता मुँह में हड्डी लेकर इधर-उधर भौकता,भागता फिरता है।
जोग जुगण की सार न जाणी मुंड मुंडाया बिगूता
तुम योग उसकी पद्धति यम, नियम, आसन ,प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा ,ध्यान और समाधि के विषय में कुछ नहीं जानते।तुम योग का लक्ष्य आत्मा का परमात्मा से मिलन तक नहीं जानते। बस जल्दी जल्दी सिर मुंडाया और अपने आप को योगी मान बैठे।
चेला गुरु अपरंचै खीणां मरते मोक्ष न पायो
इस प्रकार सच्चे योग के रहस्य को न तो तुम्हारा गुरु जानता है और न ही तुम।अन्यथा तुम इस प्रकार चमत्कार दिखाते हुए बाजीगरी नहीं करते।यह इस बात का प्रमाण है कि तुम्हारा गुरु और तुम दोनों योग के बारे में अनभिज्ञ हो तथा इसका परिणाम यह होगा कि तुम्हें मरने पर मोक्ष की प्राप्ति नहीं होगी।तुम्हारा यह जीवन ही व्यर्थ जायेगा।योग का जो लक्ष्य है मोक्ष को पाना वह भी तुम न पा सकोगे।
क्षमा सहित निवण प्रणाम
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जाम्भाणी शब्दार्थ
Discover more from Bishnoi
Subscribe to get the latest posts sent to your email.