शब्द नं 104

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
कण कंचण दानूं कछू न मानू
एक समय दूर देश, बिजनौर का रहने वाला एक धनी बिश्नोई समराथल धोरे पर गुरु महाराज के पास आया। उसने गुरु महाराज के चरणो में छः धडी सोना भेंट चढ़ाया और प्रार्थना की कि वह गुरु महाराज के बतलाये 29 नियमों का पालन करता है, परंतु प्रातः काल स्नान करने का नियम बहुत कठिन है, अतः गुरु महाराज उसे इस स्नान करने के नियम में छूट दें।इसके लिए वह और दान पुण्य कर सकता है।
गुरु महाराज ने बतलाया कि प्रात:स्नान करने का नियम मनुष्य के लिए कल्याणकारी है। इससे शरीर शुद्ध होता है, स्वस्थ होता है। शुद्ध शरीर से अंतःकरण शुद्ध होता है,पाप छुटते हैं।मनुष्य का तन और मन दोनों रूपवान बनते हैं।प्रातः कालीन स्नान एक सर्वोत्तम नियम है, जिसका तुम्हें अवश्य पालन करना चाहिए।ऐसा कहते हुए गुरु महाराज ने उस उपस्थित भक्त जन एवं अन्य लोगों को यह शब्द कहा:-
कंचन दानूं कूछ न मानूं कापड़ दानुं कुछ न मानूं

हे भक्त!हम अन्न-धन तथा स्वर्ण दान को कोई महत्व नहीं देते तथा वस्त्र दान को भी कुछ नहीं मानते

चोपड़ दानूं कुछ न मानूं पाठ पटंबर दानू कूछ न मानूं

घी तेल आदि के दान को कुछ नहीं मानते तथा बड़े कीमती रेशमी वस्त्रों के दान को भी कुछ नहीं मानते।

पंच लख तुरंगम दानुं कुछ न मानूं हसती दानूं कूछ न मानुं

पाँच लाख घोड़ो के दान को भी हम कुछ नहीं मानते तथा हाथियों के दान को भी हम कुछ नहीं मानते।

तिरिया दानुं कुछ न मानुं

यहाँ तक कि स्त्री के दान को भी हम कूछ नहीं मानते।

मानूं एक सुचील सिनानूं।

शब्दार्थ–
मानूं–मानता हूँ,समझता हूँ,मानना चाहिए।
सुचील सिनानूं–ऐसा स्नान जिससे आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार की पवित्रता हो।

सरलार्थ–श्री देव भगवान जाम्भो जी कहते हैं की मैं तो एक सुचील रूपी स्नान को ही श्रेष्ठ मानता हूँ क्योकि इससे आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार की शुद्धि हो जाती है इसलिए हे जिज्ञासुओं! आपको भी इन दोनों स्नानों को ही श्रेष्ठ मानना चाहिए। अन्य दान देने से तो अंतर रूपी अंत: करण में अहंकार का प्रादुर्भाव हो सकता हैं लेकिन सुचील रूपी नियम को धारण करने से अंतर रूपी अंतःकरण और बाहरी रूपी काया दोनों ही निर्मल हो जाती हैं इसलिए सुचील रूपी स्नान सर्वोत्तम है।

🙏🏻–(विष्णुदास)
क्षमा सहित निवण प्रणाम
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जाम्भाणी शब्दार्थ व विष्णुदास

Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
Articles: 794

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *