गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।
स्वामी कृष्णानन्द आचार्य बिश्नोई मन्दिर, ऋषिकेश
स्वर्गीय श्री भजनलालजी को मैं अपना श्रद्धासुमन एक कबीर के प्रसिद्ध दोहे से देना चाहता हूंकबीरा हम पैदा हुए, जग हंसे हम रोए। ऐसी करणी कर चलें, हम हसे जग रोए॥ हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अक्षय तृतीया को चौधरी भजनलालजी एवं श्रीमती जसमां देवी जी हरिद्वार स्नान करने आये थे तब बड़े ही स्नेह से बिश्नोई मन्दिर ऋषिकेश में भी गुरु महाराज का दर्शन करने आये। बहुत ही प्रसन्नचित थे। किसी प्रकार पत्रकार बन्धुओं को पता लग गया था। वे भी आ गये थे और चौधरी साहब से बहुत सारे सवाल पूछरहे थे। उन सवालों का जवाब एक ही था कि सब ठीक हो जायेगा।
“सब ठीक हो जायेगा।” इस वाक्य का क्या अर्थ था। चौधरी साहब आजीवन समाज, धर्म और राजनीति से जुड़े रहे। अपने निजी जीवन का कुछ भी ख्याल नहीं रखा था। उनके पास अनेक प्रकार के लोग समस्याओं से ग्रसित होकर आते थे। उनकी हार्दिक इच्छा यही रहती थी कि सब ठीक हो जायेगा। सबका भला हो, कर्म सिद्ध हो जाये। यही भावना जीवन के अन्तिम श्वांस तक बनी रही। आजीवन यही शुभकामना करते रहे थे। इसलिए उनको प्रत्येक क्षेत्र में सफलता एवं लोकप्रियता प्राप्त हो सकी थी।
ऐसा पुरुष विरला ही होता है जो सभी का भला चाहे और जो चाहता है वही जीवन की ऊंचाइयां छूता है और सफलता को प्राप्त करता है। राजनीति में कितने उतार-चढ़ाव सुख दु:ख झेलने पड़ते हैं। इस चक्रव्यूह से उत्तीर्ण होना धनुर्धर, धैर्यवान अर्जुन जैसे वीर का ही कार्य होता है। चौधरी भजनलाल जी ने यह सभी कुछ बड़ी कुशलता से, राजनीति में पारंगतता से अपने ही विवेक से प्राप्त की। चौधरी साहब कोई राजकुमार तो थे नहीं जो परंपरा से प्राप्त राजनीति का सुख मांग रहे हों। स्वकीय मेहनत लगन और पूर्व जन्मों के कर्मों के आधार पर एक एक सीढ़ी चढ़ते हुए अनुभव प्राप्त किया था। यही उनकी राजनीति की विशेषता थी, जो अन्य राजनीतिज्ञो में मिलना दुर्लभ है। एक सामान्य बिश्नोई किसान के घर पर जन्मे चौधरी साहब गरीबी, दु:ख, अभाव को जानते थे इसलिए वे जननायक बन सके और आजीवन “सब कुछ ठीक हो जायेगा।” यही महामंत्र अभावग्रस्त जनता को देते रहे और अपनी ओर से प्रयास करते रहे। उनकी लोकप्रियता का यही प्रमाण है कि ऐसा माना जाता था कि उनके पास एक बार भी कोई उनका कट्टर विरोधी भी आ जाता था तो भी उनको वे अपनी अविरोधी भावना से अपना मित्र बना लेते थे। इसलिये कुछ विरोधी लोग उनके पास जाने से भी घबराते थे कि कहीं वे अपना न बना लें। यह कार्य एक नियम के पालन से बनता है वह है अहिंसा परमो धर्म:।
चौधरी साहब के निधन से बिश्नोई समाज को अपूर्णय क्षति हुई है। समाज में हर प्रकार की छोटी बड़ी समस्याएं चौधरी साहब के पास आने से ही सुलझ जाती थी। वे ही समस्याएं, आपसी विवाद से भयंकर रूप धारण कर सकती थी किन्तु आपके व्यक्तित्व के सामने सभी विवादों का शमन हो जाना एक विशेष व्यक्तित्व का प्रभाव सामान्य जनों से आपको अलग करता था। अपने शासन काल में आपने अनेक बिश्नोई युवाओं को सरकारी नौकरी देने का महत् कार्य किया था। समाज सदा सदा के लिये आपका ऋणी रहेगा। आप सरकार के सर्वोच्च पदों पर विराजमान रहे किन्तु समाज का कोई भी छोटा-बड़ा, गरीब-धनवान आपके लिये बराबर था। प्राय: समाज के हर व्यक्ति को आप पहचानते थे और उनसे मधुर वचनों द्वारा वार्तालाप करके प्रसन्नचित बना दिया करते थे। सभी के सम्पूर्ण कार्य व समस्याएं तो भगवान भी नहीं मिटा सकते किन्तु आगन्तुक को खुशी की अनुभूति करा देना भी तो एक संत हृदय के लक्षण थे, इसलिये आपकी लोकप्रियता असीम थी।
एक राजनीतिक सामाजिक व्यक्ति होते हुए भी आपमें गुरु जम्भेश्वर जी तथा धर्म के प्रति श्रद्धा कृष्ट-कूट कर भरी हुई थी। वे अपनी सफलता का श्रेय भी अपने ऊपर नहीं लेते थे, सभी कुछ गुरु जाम्भोजी भगवान को देते थे। यह उनकी विनम्रता का जीता जागता उदाहरण था। गुरु जाम्भोजी ने कहा भी है – “जेनवीये नवणी खवीये खवणीकरिये करणीतो सीखहुआघर जाइये”।
विद्या ददाति विनयं, विनयात्याति पात्रताम्। पात्रत्वादं धनमाप्नोति धनाद धर्मः ततः सुखम्।।
आपके धार्मिक कार्य में आपकी धर्मपत्नी श्रीमती जसमां देवी तथा आपके पुत्रद्वय चन्द्रमोहन एवं कुलदीप का भी पूरा सहयोग रहा है। श्रीमती जसमांजी द्वारा घर में नित्यप्रति हवन अडिग ज्योति का रखना एक सद्गृहिणी की निशानी है। इस सद्भावना से सम्पूर्ण परिवार को आगे बढ़ने का सुअवसर प्राप्त होता है। समाज एवं जन साधारण की सेवा हेतु आपने समाज को अनेक स्थानों पर मन्दिर-धर्मशालाएं बनवाने हेतु हर प्रकार से अपना सहयोग दिया है। आपकी ही श्रीकृपा से दिल्ली, कुरुक्षेत्र, पंचक्ला, हरिद्वार, ऋषिकेश आदि स्थानों पर भव्य धर्मशालाएं एवं पूजा-पाठ-यज्ञ हेतु यज्ञशालाएं-मन्दिरों का निर्माण हुआ है जो समाज तथा जनसाधारण की सेवा में संलग्न है।
अपने व्यक्तिगत जीवन में भी आप प्रात: काल की संध्या वेला में नित्य प्रति हवन यज्ञ आदि कार्य करके ही सार्वजनिक जीवन को प्रारम्भ करते रहे हैं। बिश्नोई घर में आपका जन्म होने से आपके संस्कार पूर्वजों से प्राप्त थे और अपनी सफलता का राज ज्योति में गुरु परमात्मा का दर्शन ही मानते थे। यही उनकी सफलता का राज था। आज उनका पंच भौतिक शरीर तो नहीं हैकिन्तु उनके आचरण,किये हुए कार्यकलापों को आने वाली पीढ़ी जान सके और अपने जीवन में प्रेरणा ले सके इसलिए मैं अमर ज्योति के सम्पादक डॉ. सुरेन्द्र बिश्नोई जी एवं प्रबन्धक बिश्नोई सभा हिसार के प्रधान सुभाष जी द्वारा लिए गए इस निर्णय की प्रशंसा करता हूंकि जुलाई-अगस्त का अंक चौधरी साहब की स्मृति में निकाला जाये। धन्यवाद करता हूंकि यह सही समय पर लिया गया सही निर्णय है।
चौधरी साहब की लोकप्रियता का पता तो तब चला जब उन्होंने शरीर को छोड़ा था तो उसी समय ही चन्द मिनटों में ही हमें यहां ऋषिकेश में समाचार प्राप्त हो गया था। इसलिये कहा जा सकता है कि सम्पूर्ण विश्व में पता लग जाना और एक शोक तथा दु:ख की आह का निकलना उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है। पुन: उन लोकप्रिय व्यक्तित्व के धनी चौधरी साहब को नमन, प्रणाम एवं श्रद्धा सुमन समर्पित। इन्हीं थोड़े से शब्दों द्वारा उनकी महिमा का वर्णन तो नहीं किया जा सकता किन्तु मैं अपने इन शब्दों द्वारा ही उनके प्रति सद्भावना प्रकट करने की कोशिश कर रहा हूं। भगवान से प्रार्थना है कि श्रीमती जसमां देवी एवं उनके परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें तथा अपने पिता के कदमों पर चलते हुए प्रिय चन्द्रमोहन एवं कुलदीप एवं पुत्री रोशनी जनता की सेवा में अपना जीवन लगाकर भविष्य को उज्ज्वल बनाएं, यही मेरी उनके प्रति शुभकामनाएं हैं तथा बिश्नोई मन्दिर ऋषिकेश के सभी सन्तगणों की शुभकामनाएं एवं शुभ आशीर्वाद।
दिवंगत आत्मा को भगवान शांति प्रदान करें।
गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।