बिश्नोई समाज के अप्रतिम आदर्श बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल

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परम श्रद्धेय चौधरी भजनलाल जी का आकस्मिक निधन समाज की एक अपूर्णय क्षति है, जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता।बिश्नोई रत्न की उपाधि से सम्मानित चौधरी साहब बिश्नोई समाज ही नहीं अपितु सम्पूर्ण मानव समाज के लिये एक उच्चतम आदर्श थे। उनकी बहुमुखी प्रतिभा, सौम्य तथा हंसमुख स्वभाव उनके चरित्र व व्यक्तित्व के विशिष्ट गुण थे, जिनके आधार पर वे जमीन से उठकर भारतीय राजनीति के व्योम में एक दीप्तिमान नक्षत्र के रूप में स्थापित होकर अमर हो गये। चौधरी साहब बिश्नोई समाज के लिये तो पूर्णत: समर्पित थे। अपने अति व्यस्त राजनैतिक जीवन में रहते हुए भी, बिश्नोई समाज के धार्मिक व सामाजिक उत्सवों व कार्यक्रमों में भाग लेना उनकी धर्मनिष्ठा और उत्कृष्ट समाज सेवा का परिचायक था।
यथा सामथ्र्य दान भावना को समाज में जागृत करके अपने समाज एवं स्वयं के सहयोग से देश की राजधानी दिल्ली जैसी महत्वपूर्ण जगह पर समाज को जमीन दिलवाकर बिश्नोई शोध संस्थान का निर्माण करवाया
जिसकी बिश्नोई समाज कल्पना भी नहीं कर सकता था। इसके अतिरिक्त हरियाणा के मुख्यमंत्री तथा केन्द्र सरकार
में कृषि मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहकर देश व प्रदेश की सेवा करके चौधरी साहब ने अपनी दिव्य प्रतिभा का
परिचय दिया। नि:सन्देह चौधरी साहब मानव समाज व आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रकाशपुंज बनकर अमर हो गये। आपको शतशत नमन।
— स्वामी राजेन्द्रानन्द
श्री बिश्नोई सेवा आश्रम, भीमगोड़ा हरिद्वार (उत्तराखण्ड)

बिश्नोई रत्न चौधरी भजन लाल जी का इस नश्वर संसार से चले जाना केवल राजनीतिक क्षेत्र की ही नहीं अपितु धार्मिक जगत की भी बहुत बड़ी क्षति है। वे धार्मिक समन्वय के प्रतीक थे। धर्म का पोषण उनके जीवन का उद्देश्य था, राजनीति तो केवल इसका माध्यम थी। विभिन्न प्राचीन मन्दिरों, धार्मिक स्थलों का जीणाँद्धार करवाकर उन्होंने समाज में एक नई चेतना पैदा की थी। जांभाणी धामों से तो उनका विशेष लगाव था। गत वर्ष ही उन्होंने गुरु जम्भेश्वर भगवान की निर्वाण स्थली लालासर साथरी में गुरु जम्भशेवर भगवान के मन्दिर की आधारशिला रखी थी। उनकी हार्दिक इच्छा थी कि यह मन्दिर अति शीघ्र पूरा हो और भव्य से भव्य बने। हमारी भी यही इच्छा थी कि इसका लोकार्पण भी चौधरी साहब से करवाएंगे, परन्तु ईश्वर की कुछ और ही इच्छा थी। हम सब जानते हैं कि ईश्वर के आगे हमरा वश नहीं चलता है। परम गुरु जम्भेश्वर भगवान से यही प्रार्थना है कि वे दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें।
– स्वामी राजेन्द्वानन्द महंत, लालासर साथरी, जिला बीकानेर

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Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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