
मेरे प्रिय अनुयायियों, आज का मेरा उपदेश प्रकृति के प्रति प्रेम और सम्मान पर केंद्रित है।
प्रकृति से प्रेम और सम्मान: बिश्नोई धर्म का मूल
बिश्नोई धर्म का मूल सिद्धांत प्रकृति के साथ एकता और उसके संरक्षण में निहित है। मेरे द्वारा दिए गए उनतीस नियमों (बिश्नोई) में, जीवों की रक्षा और पेड़ों को न काटने पर विशेष जोर दिया गया है। हमने यह सत्य बहुत पहले ही समझ लिया था कि मनुष्य का जीवन सीधे तौर पर पर्यावरण के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। भले ही हमारे आस-पास का वातावरण सूखा और उजाड़ रहा हो, हमने अपनी धरती, वन्यजीवों और वनस्पतियों से प्रेम करना नहीं छोड़ा। यह प्रेम केवल एक सिद्धांत नहीं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन का आधार है।
आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता:
आज, जब संसार जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और संसाधनों की कमी जैसी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है, तब मेरे ये उपदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। आधुनिक जीवन की भाग-दौड़ और आर्थिक विकास की अंधी दौड़ ने हमें प्रकृति से दूर कर दिया है। हमें यह याद रखना होगा कि हम प्रकृति के स्वामी नहीं, बल्कि उसके संरक्षक हैं। यदि हम पेड़ों को बचाएंगे, जल स्रोतों का सम्मान करेंगे और सभी जीवों के प्रति करुणा रखेंगे, तभी हमारा भविष्य सुरक्षित रहेगा। यह केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि मानवता के अस्तित्व के लिए एक अनिवार्य जीवन शैली है।
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