पर्यावटण रक्षक चौधरी भजनलाल जी (Part 1)

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दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने महात्मा गांधी के निधन पर कहा था कि आने वाली पीढ़ियां शायद ही यह विश्वास करे कि इस धरा पर हाड़ मांस का कोई व्यक्ति हुआ होगा जिसने सत्य और अहिंसा के बल पर भारत को अंग्रेजों के कुशासन से मुक्ति दिलवाई और हर भारतीय ने आजादी की सांस ली थी। उस वक्त आईस्टाइन तो क्या कोई भी नहीं जानता था कि परमपिता परमात्मा ने बापू के आदशों और गुरु जम्भेश्वर की शिक्षाओं के पुजारी को 6 अक्तूबर, 1930 को इस कायनात पर विचरण करने के लिए उतार दिया है और 30 जनवरी, 1948 को अटठारह वर्ष के भजनलाल मन ही मन संकल्प ले रहे हैं कि मैं गुरु जम्भेश्वर प्रणीत जीव दया पालणी, रुख लीलो नहीं घावै और गांधी जी के सत्य और अहिंसा के संदेश को आगे बढ़ाते हुए यह प्रमाणित कर दूंगा कि इस धरती पर हाड़ मांस युक्त व्यक्ति अवतरित हो चुका है और आने वाली पीढ़ियों को अविश्वास की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।
वैसे तो बिश्नोई समाज में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति जीवों और वृक्षों की रक्षा करने पर कटिबद्ध हैं मगर हमारे प्रिय चौधरी साहब में तो यह विचार दृढ़ता से कुट-कूट कर भरे हुए थे। उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर और महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए इन शिक्षाओं का कड़ाई से पालन किया। मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री और अन्य पदों पर रहते हुए उन्होंने जीवरक्षा और वृक्ष रक्षा के पक्ष में अनेक शासनादेश पारित करवाए। जो निम्नांकित हैं1. जब चौधरी भजनलाल जी चौधरी बंसीलाल के मुख्यमंत्री काल में कृषि मंत्री थे, उन्होंने दिनांक 15.10.1971 को एक शासनादेश (गजटनोटिफिकेशन) जारी करवाया जिसमें वन्य जीवों, पशुपक्षियों के शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध करवाया और अवहेलना करने पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया। 2. अबोहर क्षेत्र के बिश्नोइयों की मांग पर चौधरी भजनलाल जी ने पंजाब सरकार से दिनांक 27.08.1975 को एक शासनादेश जारी करवाया जिसमें बिश्नोई आबादी वाले गांवों को वन्यजीव स्थली Wild Life Sanctuary घोषित किया गया और वन्य जीवों के शिकार पर सख्त पाबंदी लगाते हुए अवहेलना करने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया। 3. 28 जून, 1979 को भजन लाल जी प्रथम बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने उन्होंने राज्य के वन विभाग को पौधारोपण के लिये वृहद् कार्य योजना तैयार करने को कहा। उस योजना के तहत गांवों में किसानों को मुफ्त पेड़ बांटे गए। पंचायतों को वृक्षारोपण के लिए पुरस्कृत किया गया। वृक्षारोपण की जनमानस में एक लहर चल पड़ी। आज का हरा भरा हरियाणा उसी आंदोलन का परिणाम है। 4. अपने मुख्यमंत्रीत्व काल में वन एवं वन्यजीवों की रक्षार्थ चौधरी भजनलाल जी ने अलग से पर्यावरण अदालतों का गठन किया जिसमें अवहेलना करने वालों पर त्वरित कार्यवाही की गई। वन्य जीव रक्षार्थ सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अधिक कानूनी शक्तियांप्रदान की गई। 5. सन् 1986 में चौधरी भजनलाल जी के वन एवं वन्य जीव प्रेम को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने उन्हेंपर्यावरण मंत्रालय का प्रभार देते हुए केन्द्रीय मंत्री बनाया। चौधरी भजनलाल जी के सुझाव पर ही इस मंत्रालय का नाम वन मंत्रालय से बदल कर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय रखा गया था। उपर्युक्त मंत्रालय का पदभार ग्रहण करते ही उन्होंने इस मंत्रालय में आमूलचूल परिवर्तन एवं सुधार किये।

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Sanjeev Moga
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