

तारणहार थला सिर आयो जे कोई तरै सो तरियो जीवनै।
जे जीवड़ा को भलपण चाहो सेवा विष्णु की करियो जीवनै।
मिनखा देही पड़े पुराणी भले न लाभे पुरियो जीवनै।
अडसठ तीरथ एक सुभ्यागत घर आये आदरियो जीवनै।
देवजी री आस विष्णुजी री संपत कुड़ी मेर न करियो जीवनै।
रावा सूं रंक रंके राजिंदर हस्ती करे गाडरियो जीवनै।
उजड़वाला बसे उजाड़ा शहर करै दोय घरियो जीवनै|
रीता छाले छाला रीतावै समन्द करै छीलरियो जीवनै।
पाणी सूं घृत कुडीसु कुरड़ा सोघीता बजरियो जीवनै।
कंचन पालट करै कथीरो खल-नारेल गिरियो जीवनै।
पांचा क्र्रोड़या गुरू प्रहलदो करणी सीधो तरियो जीवनै।
सत के कारण छोड़ी हस्तिनापुर जाय हिमालय गरियो जीवनै।
कलियुग दोय बड़ा राजिंदर गोपीचंद भरथरियो जीवनै।
गुरु वचने जोगुन्टो लियो चुको जामण मारियो जीवनै।
भगवी टोपी भगवी कन्था घर घर भिक्षा नै फिरियो जीवनै।
खाड़ी खपरी ले नीसरियो धौल उजीणी नगरियो जीवनै।
भगवीं टोपी थल सिर आयो जो गुरू कह सो करियो जीवनै।
तारणहार थला सिर आयो जे कोर् तरै सो तरियो जीवनै।
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