

“और न चाले साथ जीव के,
कै सुकरत हरि नाम।
नाम विना भवसागर भरमै,
और न आगे ठांम।
-(उदोजी अड़ींग)
-भावार्थ-‘ जीव के संसार से जाते समय भगवान का नाम और शुभ कर्मों का फल ही उसके साथ जाता है। भगवन्नाम की कमाई के बिना वह भवसागर में भटकता रहता है उसे मुक्ति नहीं मिलती।’
🙏 -(जम्भदास)