‘ धरती और आकाश को धारण करने वाले हे भगवन!आपके नाम के प्रताप से गजेन्द्र, ध्रुव, प्रहलाद,परिक्षित,अंबरीश तर गए।असुरों का संहार करने,ब्रह्माजी को वेद प्रदान करने, देवताओं को आल्हादित करने एवं संतों का उद्धार करने वाले भगवन इस बार आप जम्भेश्वर अवतार के रूप में आए हैं, मैं आपकी शरण हूं,मेरी पुकार सुनो। हे देव!कृपा करके मुझे उबार लो।’