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मनोहर लाल गोदारा सचिव, बिश्नोई सभा हिसार
चौधरी भजनलाल ग्रामीण आंचल से जुड़े, किसानों के मसीहा, आम जनता से सीधे संवाद स्थापित करने वाले भूमि पुत्र थे। आखिरी समय तक जनता की समस्याओं का समाधान करने तथा उनकी फिक्र में लगे रहे। हमेशा आशावादी रहे। जब भी कोई उनके पास किसी कार्य को लेकर जाता था तो कभी किसी को निराश नहीं किया। एक बार जो उनसे मिल लेता था उसे भूलते नहीं थे तथा अपने क्षेत्र के लोगों को नाम लेकर पुकारते थे।
हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री रहे चौधरी भजनलाल राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नेता थे। एशियाड 1982 खेल के सफल आयोजन के लिए बी.बी.सी. लंदन से उनका नाम अच्छे प्रशासक के नाम से प्रसारित किया गया था। केवल मुख्यमंत्रीपद ही नहींची. भजनलालजी ने भारत के पर्यावरण एवं कृषि मंत्रीपद को भी सुशोभित किया था।
बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल का जन्म 6.10.1930 को रियासत बहावलपुर जो कि अब पाकिस्तान में है, के कोड़ावाली गांव में एक साधारण बिश्नोई किसान परिवार के घर हुआ। बिना किसी राजनीति पृष्ठ भूमि के होते हुए भी उन्होंने जिस राजनैतिक एवं सामाजिक ऊंचाईयों को छुआ यह अपने आप में एक उदाहरण है।
चौधरी भजनलाल जी ने आजादी के बाद अपनी युवावस्था में मंडी आदमपुर को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। चौधरी पोकरमल बैनीवाल जो कि आदमपुर के रहने वाले थे के साथ मंडी आदमपुर में व्यापारिक कार्य शुरू किया तथा सगे भाइयों की तरह रहे तथा अपने व्यापार को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। मंडी आदमपुर व आसपास के लोगों ने इतना स्नेह आदर व प्यार दिया कि वे मंडी आदमपुर के ही होकर रह गये। मंडी आदमपुर से अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत सन् 1960 में एक पंच के रूप में चुनाव जीतकर की। फिर पंचायत समिति के सदस्य बने तथा फिर पंचायत समिति हिसार-2 के चेयरमैन बने। सन् 1968 में पहली बार आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। निरन्तर चार दशक से भी ज्यादा समय तक राजनीति में छाए रहे। सन् 1968 से सन् 2009 तक नौ बार विधानसभा सदस्य, तीन बार लोकसभा सदस्य एक बार राज्यसभा सदस्य रहे। चौधरी भजनलाल जी खुद ही नहीं बल्कि उनकी लोकप्रियता की वजह से उनकी धर्मपत्नी श्रीमती जसमां देवी भी सन् 1987 में आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गई। उस वक्त चौधरी भजनलाल जी राज्यसभा सदस्य थे तथा केंद्र में मंत्री थे। उन्हीं की लोकप्रियता की वजह से चौधरी साहब के बड़े पुत्र चंद्रमोहन लगातार चार बार कालका से विधायक चुने गये तथा हरियाणा सरकार में उप मुख्यमंत्री बने। उन्हीं की लोकप्रियता की वजह से चौधरी कुलदीप बिश्नोई भिवानी लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा सदस्य तीनों लालों की टक्कर में चुनकर आए तथा राजनैतिक ऊंचाइयों को छुआ। चौधरी कुलदीप बिश्नोई दो बार हरियाणा विधान सभा सदस्य चुने गये तथा वर्तमान में आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं तथा हरियाणा जनहित पार्टी के सुप्रीमो भी हैं। चौधरी दुड़ाराम अपने भतीजे को फतेहाबाद से सन् 2005 में विधायक बनवाया। पंडित रामजीलाल को सांसद (राज्यसभा) सदस्य बनवाया जो कि आज इनके परिवार के वफादार तथा पारिवारिक सदस्य की तरह हैं। पंडित रामजीलाल हमेशा राजनैतिक साथी रहे हैं, बताते हैं कि चौधरी साहब जो कहते थे वो करके दिखाते थे। उनके अंदर बहुत ज्यादा आत्मविश्वास था। चौधरी रणधीर सिंह व चौधरी सुलतान सिंह को गवर्नर नियुक्त करवाया। चौधरी रणधीर सिंह कहा करते हैं कि गवर्नर की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, परन्तु हमारी गवर्नर की नियुक्त चौधरी भजनलाल द्वारा की गई थी, यह भी अपने आप में एक मिसाल है।
चौधरी भजनलाल जी केवल श्रीमती इंदिरा गांधी को अपना नेता मानते थे। श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में हालात डांवाडोल हो गये थे तथा प्रधानमंत्री पद के कई दावेदार हो गये थे। ज्ञानी जैल सिंह उस वक्त राष्ट्रपति थे चौधरी भजनलाल जी ने राष्ट्रपति पर अपना दबाव बनाकर श्री राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। इनकी राजनैतिक पहुंच का यह अनूठा उदाहरण है। सन् 1991 में श्री नरसिम्हाराव की केन्द्र में सरकार बनी जो कि अल्पमत में
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