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कामरेडणी माया देवी बड़ोपल, फतेहाबाद,स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् लोकतंत्र में केवल पुरुषों का ही वर्चस्व था। लोकसभा और
विधानसभा तो दूर पंचायत स्तर पर भी महिलाओं की भागीदारी न के बराबर थी। वे केवल एक वोटर के रूप में ही लोकतंत्र की हिस्सा थी। चुनाव लड़ने-लड़ाने की बात महिलाएं सोच भी नहीं सकती थी। अशिक्षा भी उनके जीवन में बहुत बड़ी बाधा थी। जब उदार हृदय के नेता व दूरदृष्टि रखने वाले प्रशासक चौधरी भजनलाल जी हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने महिलाओं की दुर्दशा को समझा और उनके स्तर को ऊपर उठाने का हर संभव प्रयास किया था। वे जानते थे कि जब तक महिलाएं शिक्षित नहीं होंगी तब तक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हो सकती। इसलिए उन्होंने महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्थान-स्थान पर विद्यालय बनवाए और अनेक स्थानों पर लड़कियों के लिए अलग से विद्यालय बनवाए। इतना ही नहीं महिला शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए पहली से बी.ए. तक की कन्या शिक्षा मुफ्त की और लड़कियों के लिए विशेष छात्रवृत्ति भी आरम्भ की। महिला शिक्षा से समाज में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ और समाज का दृष्टिकोण पूरी तरह से बदल
गया । चौधरी भजनलाल जी का मानना था कि जब तक राजनीति में महिलाओं की पूरी भागीदारी नहीं होगी तब तक सही अर्थों में लोकतंत्र की स्थापना नहीं हो सकती। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रीत्व काल में महिलाओं को पंचायत व जिला स्तर पर 33% आरक्षण दिया। चौधरी भजनलाल जी पूरे देश में पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे जिन्होंने यह आरक्षण दिया। शेष भारत में उनके इस फैसले का अनुकरण किया गया। चौधरी साहब की कलम से हुआ यह ऐसा फैसला था जिसने भारतीय राजनीति की तस्वीर बदल दी है। आज गांवों में सरपंच, पंच व जिला परिषद के 33% पदों पर महिलाएं विराजमान हैं, जिसका श्रेय चौधरी भजनलाल को जाता है। चौधरी साहब के इस फैसले के कारण ही मैं स्वयं 1995 और 2006 में ब्लाक समिति की सदस्या बनी और पता नहीं मेरे जैसी कितनी ही महिलाएं पंच, सरपंच और जिला परिषद् की सदस्या व अध्यक्षा रही हैं और अभी भी हैं। यदि चौधरी साहब यह कानून नहीं बनाते तो ये महिलाएं राजनीति में आने का सपना भी नहीं देख सकती थी। नारी समाज सदैव चौधरी भजनलालजी का ऋणी रहेगा। आतंकियों से भी बनहीं घबराए थे भजनलाल तीसरी बार जब चौधरी भजनलाल जी हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तो कैथल में एक जनसभा को संबोधित करने सड़क के रास्ते चंडीगढ़ से जाना था। आतंकियों ने उन्हें बम विस्फोट से मारने की योजना बना रखी थी। पुलिस की सतर्कता से आतंकी अंबाला से कुछ आगे पकड़ लिए गए, लेकिन भजनलाल ने रैली स्थगित नहीं की। रैली में हवाई मार्ग से पहुंचे। ऐसे अनेक अवसर आए जब उन्होंने साहस का परिचय दिया था।
साभार – अमर उजला
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