69648528 642046616282790 7077355880395571200 n

गुरु जम्भेश्वर का दैनिक उपदेश: शुद्धता का महत्व

नमस्ते! मैं गुरु जम्भेश्वर, बिश्नोई पंथ का संस्थापक, आपके समक्ष हूँ। आज का दिन हमें एक ऐसे सिद्धांत पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है जो हमारे अस्तित्व का आधार है—बाहरी और आंतरिक पवित्रता

आज का उपदेश: शुद्धता का महत्व

मेरे प्यारे अनुयायियों, मेरी वाणी को ध्यान से सुनिए। बिश्नोई दर्शन में, बाहरी और आंतरिक पवित्रता को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।

बाहरी शुद्धता यानी अपने शरीर को स्वच्छ रखना, यह हमें रोगों और अशुद्धियों से बचाता है। सुबह उठकर स्नान करना, स्वच्छ भोजन और जल ग्रहण करना—यह केवल एक कर्मकांड नहीं, बल्कि जीवन की रक्षा का प्रथम चरण है।

लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण है आंतरिक शुद्धता। मन की मैल, यानी अज्ञानता, द्वेष और अहंकार को धो डालना। जब हमारा अंतःकरण शुद्ध होता है, तभी हम सत्य को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं और अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही ढंग से कर पाते हैं।

आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता:

आज की दुनिया में, जहाँ हवा और पानी में प्रदूषण घुल चुका है, वहाँ बाहरी स्वच्छता बनाए रखना एक चुनौती है। लेकिन गुरुवाणी हमें याद दिलाती है कि हमें अपने हिस्से का प्रयास करना होगा—स्वच्छ जल पीना होगा, और अपने परिवेश को साफ रखना होगा।

और आंतरिक शुद्धता? आज की भागदौड़ में, जहाँ मन क्षण-क्षण में विचलित होता है, वहाँ ध्यान और आत्म-अनुशासन ही हमें अहंकार और लोभ की गंदगी से बचा सकते हैं। यदि आप भीतर से शांत और शुद्ध नहीं हैं, तो दुनिया की कितनी भी समृद्धि आपको सच्चा सुख नहीं दे सकती।

याद रखिए, एक स्वच्छ तन और एक निर्मल मन ही आपको प्रकृति और परमात्मा से जोड़ता है। यही बिश्नोई धर्म का सार है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना सदियों पहले था।


Discover more from Bishnoi

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
Articles: 799