

परिचय
राजस्थान के जिले के छोटे से गांव मैनांवाली की 24 साल की निरिक्षा बिश्नोई नेवी में ग्रुप वन गजटेड आॅफिसर सिलेक्ट हुई हैं। निरिक्षा देश की 23 वुमन कैडेट के साथ 22 नवंबर को पास आउट हुई है। नेवी में लड़कियों का बतौर कमिशन ऑफिसर शामिल होना बड़ी चुनौती है, लेकिन निरिक्षा ने इस चैंलेज को एक्सेप्ट कर यह अचीवमेंट हासिल किया। निरिक्षा के पिता एसबी बिश्नोई इस वक्त नागालैंड में आर्मी में कर्नल हैं।
लड़कों के साथ भी दौड़ लगा पछाड़ा
पिता एसबी बिश्नोई ने बताया “मैं आर्मी में कर्नल था। जिसके कारण 2 से 3 साल बाद एक से दूसरी जगह ट्रांसफर हो जाता था। इस कारण निरिक्षा का स्कूल, टीचर और दोस्त सब बदल जाते थे, लेकिन माहौल बदलने के बाद भी वह अपने लक्ष्य पर अडिग रही। वह स्कूल के दौरान ही हर रोज 10 से 12 घंटे पढ़ने के साथ ने 2 से 3 घंटे फिजिकल प्रैक्टिस करती रहीं।
– ग्रैजुएशन के बाद निरीक्षा ने एमटेक बॉयो टेक्नोलॉजी से की। आर्मी में जाने का जुनून उस पर इस कदर सवार था कि 11 महीने तक जी-तोड़ मेहनत के साथ उसने पहले आर्मी फिर एयरफाेर्स और नेवी तीनों टेस्ट क्लियर कर लिए। इस बीच पहले नेवी का कॉल लेटर आने पर निरिक्षा ने नेवी में ही ज्वाॅइन कर लिया। अब उसे INS हमला में ज्वाइनिंग मिली है।
– निरिक्षा ने स्वीमिंग में भी टॉप किया। लड़कों के साथ भी दौड़ लगाकर उनको पछाड़ती रही। 15 किलोमीटर दूरी तक लड़कों के साथ दौड़ लगाकर लड़कों को पछाड़ ब्रांज मेडल हासिल किया। स्कूल समय में बैडमिंटन में निरिक्षा ने नेशनल लेवल पर गेम्स में हिस्सा लिया और बेहतरीन परफाॅर्म किया।
पिता बोले-असली प्यार की हकदार बेटियां होती हैं
कर्नल एसबी बिश्नोई का कहना है कि तीन लाख 82 हजार कैंडिडेट्स में से 328 महज 0.1 फीसदी का सिलेक्शन एक बड़ी चुनौती रहता है। निरिक्षा ने 24 वुमन कैडेट की बीच में इस कामयाबी को हासिल किया।
उन्होंने कहा “उन्हें बहुत अच्छा लगा कि अब उनकी तरह बेटी भी देश की सेवा करेगी। मैं तो कहता हूं कि ऐसी बेटी सबकी हो! उनका कहना है कि लोग ऐसे ही बेटे-बेटी में फर्क करते हैं। असली प्यार की हकदार तो बेटियां होती हैं।”
Discover more from Bishnoi
Subscribe to get the latest posts sent to your email.