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डा. माया बिश्नोई ,डा. मदन खीचड़ 10-ए/11, न्यूकैंपस कृषि मौसम वैज्ञानिक एच.ए.यू.,हिसार ह.कृ.वि.,हिसार,
धरती पर ऐसे कुछ विरले ही महापुरुष जन्म लेते हैं जो आम आदमी की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा देते हैं, उन्हीं में से एक थे चौधरी भजनलाल। विलक्षण प्रतिभा तथा समाजहित के गुणों के धनी चौधरी भजनलाल का जन्म एक सामान्य कृषक परिवार में 6 अक्तूबर, 1930 को बहावलपुर रियासत के कोड़ांवाली गांव में हुआ जो अब पाकिस्तान में है। भारत-पाक विभाजन पर भारत सरकार ने इनके परिवार को मोहम्मदपुर रोही गांव में कृषि भूमि आंवटित की। कृषक परिवार से सम्बन्धित होने के कारण इन्होंने मण्ड़ी आदमपुर में आढ़त का व्यवसाय शुरू किया। आढ़त के व्यवसाय में रहते हुए आपने किसानों की समस्याओं व दु:ख तकलीफों को नजदीक से जाना तथा उन्हें अपने स्तर पर हल करवाने का प्रयास किया। किसानों एवं आम आदमी के दु:खों के निवारण हेतु इन्होंने 1960 में पंचायत समिति सदस्य के रूप में राजनीति में पदार्पण किया। अपने आत्मविश्वास, दृढ़ निश्चय तथा समाज हित की भावना के कारण 1968 में प्रथम बार आदमपुर विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए तथा 1970 में इन्होंने हरियाणा मंत्रिमण्डल में कृषि मंत्री का पदभार संभाला।
हरियाणा में कृषि मंत्री (1970-75) रहते हुए आपने हरियाणा राज्य में किसानों को आने वाली हर समस्या का समाधान करने का प्रयास किया। हरियाणा गठन के समय हरियाणा का अधिकांश क्षेत्र असिंचित था जिसमें कृषि केवल वर्षा पर निर्भर करती थी। इन्होंने भाखड़ा नहर का पानी हरियाणा के हर छोर पर पहुंचाने का प्रयास शुरू किया। कृषि भूमि को समतल करवाने के लिये किसानों को हरियाणा सरकार से विशेष रूप से सहायता दिलवाई। कृषि मंत्री कार्यकाल में ही इन्होंने 1970 में पंजाब विश्वविद्यालय लुधियाना के हिसार कैम्पस को स्वतंत्र विश्वविद्यालय का दर्जा संसदीय कानून के तहत दिलवाने में विशेष भूमिका अदा की तथा इसे कृषि शिक्षा एवं शोध का अति उत्कृष्ट केन्द्र के रुप में विकसित करवाना शुरू किया जो आज अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का विश्वविद्यालय बन चुका हैं। इस विश्वविद्यालय से किसानों ने आधुनिक एवं वैज्ञानिक ढंग से खेती करने की विधि को जाना तथा जिससे राज्य का कृषि उत्पादन बढ़ना शुरू हुआ। सन् 1978 से 1979 तक चौधरी साहब ने किसानों से संबंधित सहकारिता, पशुपालन एवं रोजगार मंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान इन्होंने किसानों को फसलों पर आधारित कृषिऋण सोसायटी के माध्यम से दिलाना शुरू किया जिससे किसानों को हो रही कृषि ऋण जैसी समस्या से काफी हद तक छुटकारा मिला तथा साहूकारों के चंगुल से छुटकारा मिलना शुरू हुआ। गांवों में सहकारिता आंदोलन की शुरूआत हुई जिससे आम किसान सहकारी समिति का सदस्य बनने लगा। किसानों को सहकारी समिति के माध्यम से रासायनिक खाद मिलने की सुविधा शुरू करवाई। पशुपालन मंत्रीत्व के दौरान इन्होनें दुग्ध उत्पादन के लिए भी अनेक विकासोन्मुखी परियोजनाएं शुरू की जिससे हरियाणा में दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी होनी शुरू हुई। चौधरी भजनलाल को इसी दौरान हरियाणा सरकार द्वारा वन मंत्रालय का कार्यभार भी दिया गया। इस दौरान इन्होंने सड़कों के किनारों पर वृक्षारोपण करवाया तथा हरियाणा को हराभरा करने में अपना अमूल्य योगदान दिया। हरियाणा में जो हरित क्रांति हुई उसका श्रेय चौधरी भजनलालजी को जाता है।
चौधरी भजनलाल ने 28 जून, 1979 को प्रथम बार हरियाणा के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद किसानों की हर समस्या के निवारण की ठानी तथा उनकी बेहतरी के लिये अनेक योजनायें शुरू कीं। इन्होंने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हरियाणा मण्डीकरण बोर्ड द्वारा मण्डियों का विकास करवाया तथा नई मण्डियों की स्थापना की क्योंकि पहले किसानों को अपना खाद्यान्न बेचने के लिए 50 से 60 कि.मी. दूरी तय करनी पड़ती थी। अनाज मण्डी
में किसानों की सुविधा हेतु अनेक कार्य किए। किसान विश्राम गृह बनवाये तथा अनाज मण्डी में अनाज एवं खाद्यान्न को रखने के लिए शैड आदि का प्रबन्ध करवाये ताकि वर्षा आदि के मौसम में फसल को कोई हानि न हो। माकिट कमेटी में किसानों को प्रतिनिधित्व दिलवाया जिससे किसान मण्डी में होने वाली योजनाओं की पूरी जानकारी प्राप्त करके तथा उन पर होने वाले फैसलों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सके। चौधरी भजनलाल ने इजराइल की तर्ज पर रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, भिवानी जिलों में जहां बारानी खेती अधिक होती है, वहां बूंद-बूंद से खेती तथा फुव्वारा खेती का प्रचलन करवाया। इजराइल की तकनीकपानी कम फसल ज्यादा के अध्ययन के लिये कृषि अधिकारियों एवं वैज्ञानिक दल को इजराइल भेजा तथा इस तकनीक को अपने राज्य में पूर्ण रूप से लागू किया। इन्होंने खाद्यान्न के साथ फल एवं सब्जी उत्पादन के लिए अनेक नवीन एवं वैज्ञानिक तकनीकें हरियाणा में लागू करवाकर इनका उत्पादन बढ़वाया।
सन् 1986-88 तक चौधरी भजनलाल ने भारत सरकार में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को संभाला। उन्होंने इस दौरान नदियों की सफाई तथा पौधारोपण का बीड़ा उठाया। गंगा-यमुना जल शुद्धिकरण परियोजना का शुभारम्भ इन्होनें ही किया जिस कारण आज पवित्र धार्मिक नदी गंगा का कायाकल्प हो रहा है। इन्होंने 1989 में भारत सरकार में अपना मनपसंद विभाग कृषि मंत्रालय का कार्यभार संभाला। अपने कृषि मंत्री कार्यकाल में इन्होंने राज्य एवं देश के किसानों के लिये कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्रों की स्थापना पर जोर दिया। हरियाणा में अनेक कृषि एवं पशुपालन शोध संस्थानों में अतिरिक्त धन एवं सुविधायें प्रदान करते हुए राज्य को अनेक परियोजनाएं प्रदान की। अपने कार्यकाल में हिसार जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र सदलपुर तथा बारानी अनुसंधान केन्द्र बालसमन्द की स्थापना की ताकि किसान अपने नजदीक में हो रही वैज्ञानिक खेती को देखें व उसी प्रकार कृषि करें। इन गांवों के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठयक्रमों में प्रवेश हेतु सीटें आरक्षित करवाई। यह नियम बनवाया कि जो गांव कृषि विज्ञान केन्द्र एवं कृषि अनुसंधान केन्द्र खोलने के लिए कृषि विश्वविद्यालय को कृषि भूमि उपलब्ध करवायेगा, विश्वविद्यालय उस गांव के लिये रोजगार एवं शिक्षा के अवसर प्रदान करेगा। चौधरी भजनलाल के प्रयास से हरियाणा के विभिन्न गांवों जैसे बुरिया (यमुनानगर), जगदीशपुर (सोनीपत), पाण्डुपिण्डारा (जींद), कौल (कैथल) आदि में अनेक कृषि अनुसंधान केन्द्र हैं। कौल (कैथल) तथा बावल (रेवाड़ी) में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सम्बन्धित कृषि महाविद्यालय की स्थापना की ताकि किसानों के बच्चों को कृषि शिक्षा एवं शोध में शामिल किया जा सके तथा वे राज्य व देश के कृषि उत्पादन को बढ़ाने में अपना योगदान सके। अपने मुख्यमंत्रीत्व काल में (1979–1986) व (1991 से 1996) में हरियाणा राज्य का खाद्यान्न उत्पादन 4690 हजार टन से बढ़कर 11448 हजार टन तक पहुंचाया जो उनके कुशल नेतृत्व, किसानों के परिश्रम तथा कृषि वैज्ञानिकों द्वारा उन्नत किस्मों की खोज से संभव हुआ। आज हरियाणा को भारत देश का गेहूं का टोकरा तथा चावल का कटोरा कहा जाता है। यह धरतीपुत्र चौधरी भजनलाल जी की दूरदर्शी सोच का ही परिणाम है। इन्होंने पूरे राज्य में नहरों का जाल बिछाया तथा खेतों में पक्के नालों का निर्माण कर हर खेत तक पानी पहुंचाने का प्रयास किया। सन् 1981 में अपने मुख्यमंत्रीत्व कार्यकाल में ही हरियाणा के किसानों की जीवन रेखा कही जाने वाली सतलुज यमुना लिंक नहर समझौते पर पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाधी की गरिमापूर्ण उपस्थिति में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह, राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवचरण माथुर के साथ मिलकर हस्ताक्षर कर एक अभूतपूर्व कार्य को अंजाम दिया। इन्होंने अपने मुख्यमंत्रीत्व कार्यकाल में युद्धस्तर पर कार्य चलाकर SYL का 95% निर्माण कार्य पूरा किया, परन्तु किसानों के दुर्भाग्यवश इस नहर में पानी नहीं आ सका। आज भी नहर का निर्माण जस का तस पड़ा है। चौधरी भजनलाल का सपना था कि सतलुज यमुना लिंक नहर से पूरे हरियाणा में सिंचाई हो जिससे राज्य का अनाज उत्पादन कई गुणा बढ़ जाये।
चौधरी साहब ने केन्द्र व राज्य की वर्तमान भूमि अधिग्रहण नीति का आखिरी दम तक विरोध किया। उनका का मत था कि सरकार जो भूमि अधिग्रहण नीति बनाए वह किसानों के हित में होनी चाहिये। उन द्वारा किसान हित में किये गये कार्य हमेशा याद रखे जायेंगे तथा वे किसानों के दिल पर हमेशा राज करेंगे।
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