
बिश्नोई रत्न चौधरी भजन लाल जी का निश्चय रूप से एक निर्भिक एवं धैर्यवान चरित्र थे। शुरूआत में जब उन्होंने व्यापारिक जीवन आरंभ किया तब भी उन्होंने बड़ी निर्भिकता से व्यापार किया और जब राजनीतिक जीवन शुरू किया तो उनकी निर्भिकता एवं नम्रता और भी बढ़ गई। किसी के गुस्सा करने या उल्हाना देने पर तो वे और भी गंभीरता से सुनते एवं समाधान करने की कोशिश करते। धैर्य तो उन्होंने कभी खोया ही नहीं। यही कारण था कि अधिकारी वर्ग भी उनसे बहुत खुश रहता था। अधिकारीगणों से वे प्यार एवं प्रेम जता कर कार्य करवाना उनकी शैली में शुमार था, यही कारण है कि चौधरी बंसीलाल सरकार में वे पूर्णत: छा गये थे। इसी कारण आपातकाल का लाभ उठाते हुए चौधरी बंसीलाल ने उन्हें मंत्रीमंडल छोड़ने के लिए विवश किया। परन्तु चौधरी भजन लाल जी ने धैर्य नहीं खोया और इसी लगन व मेहनत से लोगों का काम करवाते रहे। आपातकाल के बाद चौधरी देवीलाल जी की सरकार बनी और उन्होंने चौधरी भजनलाल को अपने मंत्री मंडल में शामिल नहीं किया तो भी चौधरी भजनलाल ने धैर्य नहीं खोया और अपनी शैली में काम करवाते रहे। अन्तत: चौधरी देवीलाल जी को उन्हें अपने मंत्री मंडल में शामिल करना पड़ा। फिर तत्कालीन विधायकों ने उनकी कार्यशैली से प्रभावित होकर उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया और चौधरी देवीलाल की पूर्णत: बहुमत वाली सरकार को गिरना पड़ा और चौ भजनलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। यह सब चौधरी भजनलाल जी का शालीन व्यवहार, कार्य करने व करवाने की मधुर शैली, धैर्यवान चरित्र एवं निर्भिकता का ही प्रभाव था। यही कारण था कि चौधरी भजनलाल हरियाणा प्रदेश के सबसे लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहे और यही संदेश चौधरी साहब ने अपने आधीन कार्य करने वाले व्यक्तियों व अधिकारीगणों को भी दिया।
धर्मपाल भाम्बू एडवोकेट, आदमपुर






