

जयप्रकाश बिश्नोई एडवोकेट
विष्णु अवतार भगवान जांभो जी के बारे में एक अज्ञात कितु प्रत्यक्ष दृष्टा एवं यथार्थ वक्ता कवि ने एक साखी में लिखा है कि रावां सूरंक रंके राजिंदर, हस्ती करेगाडरियो जीवनैअर्थात यदि विष्णु जी की यदि कृपा जीव पर हो जाए तो एक साधारण व्यक्ति राजा हो जाता है। ऐसी ही असीम कृपा चौधरी भजनलाल जी पर विष्णु अवतार गुरु जम्भेश्वर भगवान की हुई थी। जो एक साधारण कृषक परिवार में जन्म लेकर एक प्रतिभाशाली राजा बने। केवल मात्र अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति एवं कड़ी मेहनत के कारण और बिना किसी का सहारा लिए केवल मात्र अपने ही बलबूते पर वे लम्बे समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं केन्द्र सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के केन्द्रीय मंत्री के पदों पर सुशोभित रहे। चौधरी भजनलाल अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण ही हरमंजिल पर कामयाबी हासिल करते हुए आगे बढ़ते रहते थे। साधारण कृषक परिवार से होते हुए भी उन्होंने इस कार्य को छोड़ आरंभ में कपड़े का व्यापार आरंभ किया और फिर घी का व्यापार आदमपुर में शुरू किया। संयुक्त पंजाब में जब राजधानी शिमला में होती थी तो वहां पर भी आदमपुर के देसी घी की जलेबियां विशेष तौर पर बिकती थीं। बस यहीं से पहले तो भजनलाल ने उस समय के संयुक्त प्रदेश (पंजाब, हरियाणा, हिमाचाल) में आदमपुर को देसी घी के नाम पर प्रसिद्धि दिलाई। देसी घी, आदमपुर और भजनलाल की गूंज पूरे प्रान्त ही नहीं अन्य प्रान्तों में भी फैल गई।
भजनलाल जैसे धुरंधर नेताओं की राजनैतिक कहानी कभी खत्म नहीं होती बल्कि एक इतिहास बन जाती है। यही कारण है कि राजनीति के पीएच.डी. कहे जाने वाले भजनलाल ने जहां से चाहा वहीं से चुनाव जीता। वे करनाल, फरीदाबाद एवं हिसार से सांसद बने जबकि आदमपुर से सदैव वि.स. चुनाव जीतते रहे। प्रदेश के हर कोने से वे चुनाव जीतने में सक्षम थे और यह कारनामा उन्होंने करके भी दिखाया। यही नहीं अपनी धर्मपत्नी श्रीमती जसमां देवी व अपने सुपुत्रों चन्द्रमोहन व कुलदीप को भी राजनीति में उतारा। एक अल्पसंख्यक बिश्नोई सम्प्रदाय से सम्बन्ध होने के बावजूद हरियाणा जैसे जातिगत समीकरणों वाले प्रदेश में भजनलाल की गिनती 36 बिरादरियों के निर्विरोध चैंपियन के रूप में होती रही है।
अपने पूरे लम्बे जीवन में भजनलाल ने न तो कभी हार मानी और ना ही आम जनों से दूरियां बनने दी। आदमपुर के विधानसभा क्षेत्र के वोटरों को तो वे नाम से भी जानते थे। किसी भी व्यक्ति का काम बनने पर जितनी खुशी उनको होती थी, वही खुशी स्वयं भजनलाल जी को भी होती थी। सुबह पांच बजे से ही उनका मिलने का सिलसिला आरंभ हो जाता था और शाम को सोने के लिए जाने के वक्त तक लोगों से मिलकर उनको अपार खुशी महसूस होती थी, यही उनके स्वास्थ्य का बढ़िया टॉनिक था। विरोधियों का विरोध करने की बजाय उनका काम कर दिल जीतना उनकी एक अच्छी आदत में शुमार था। गांधी परिवार से उनके प्रगाढ रिश्ते रहे। आरम्भ में बाबू जगजीवन राम जी उपप्रधानमंत्री ने 1977 में देवीलाल की अति बहुमत वाली सरकार गिराकर भजनलाल जी को मुख्यमंत्री बनने में सहयोग किया। राजीव गांधी जी प्रधानमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री मंडल में शामिल किया। श्री नरसिम्हा राव ने अपनी सरकार बचाने में चौधरी भजनलाल का सहयोग लिया और अन्य राज्यों की सरकार बनाने व बचाने में भी भजनलालजी का सहयोग लिया जाता था। अंतिम पडाव तक उन्होंने अपनी वृद्ध उम्र को राजनीति में आड़े नहीं आने देना निश्चय ही उनके आलौकिक चरित्र को बयां करता है।
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