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आरती कीजे श्री महाविष्णु देवा

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आरती कीजे श्री महाविष्णु देवा,सुरनर मुनिजन करे सब सेवा।।
पहली आरती शेष पर लोटे, श्री लक्ष्मी जी चरण पलोटे।।
दूसरी आरती क्षीर समुद्र ध्यावे, नाभ कमल ब्रह्मा उपजाए।।
तीसरी आरती विराट अखण्डा, जाके रोम कोटि ब्रह्मण्डा।।
चैथी आरती वैकुण्ठे विलासी, काल अंगूठ सदा अविनाशी।।
पांचवीं आरती घट-घट वासा,हरि गुण गावे ऊधौ जी दासा।।

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Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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