
आरती कीजे गुरू जम्भ जती की,भगत उधारण प्राण पति की
पहली आरती लोहट घर आये,बिन बादल प्रभु इमिया झुराए।
दूसरी आरती पींपासर आये, दूदा जी नें प्रभु परचो दिखाए।
तीसरी आरती समराथल आए, पूला जी नें प्रभु स्वर्ग दिखाए।
चैथी आरती अनूवे निवाए, बहुत लोग प्रभु पवित्र कहाए।
पांचवीं आरती ऊधो जन गावे, सो गावे अमरापुर पावे।




