1. पीपासर

यह गुरू जाम्भोजी का अवतार स्थल हैं । यह मुकाम से लगभग 10-20 कि.मी. दक्षिण में और नागौर से 30 कि.मी. उतर में है। गांव में जिस कुएं के पास जाम्भोजी ने सबदवाणी का प्रथम सबद कहा था वह गांव…

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2. समराथल धोरा

 यह बीकानेर जिल की नोखा तहसील में स्थित हैं। सम्भराथल मुकाम से दो कि.मी. दक्षिण में हैं तथा पीपासर सें लगभग 10-12 कि.मी. उत्तर में हैं। बिश्नोई पंथ में सम्भराथळ का अत्यधिक महत्त्व हैं। यह स्थान गरू जाम्भोजी का प्रमुख उपदेश स्थल रहा…

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3. जाम्भोलाव

यह जोधपुर जिले की फलौदी तहसील में है। फलौदी से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर एक बड़ा तालाब है, जिसे गुरू जाम्भोजी ने खुदाया था। यही तालाब जाम्भोलाव के नाम से सुप्रसिद्ध है। यहां प्रतिवर्श दो मेले भरते है।…

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4. लालासर

बीकानेर से 18 कोस दक्षिण-पूर्व में बनिया से पूर्व की ओर जंगल में साथरी बनी हुई है। इसमें लगे हुए कंकहड़ी के हरे वृक्ष के नीचे जांभोजी का बैकुण्ठवास हुआ था। यहां हर साल मिगसर बदी 9 को सत्संग व…

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5. मुक्ति धाम मुकाम

यह बीकानेर जिल की नोखा तहसील में हैं जो नोखा से लगभग 16 कि.मी. दूर हैं। यहांपर गुरू जाम्भोजी की पवित्र समाधि हैं। इसी कारण समाज में सर्वाधिक महत्त्व मुकाम का ही हैं। इसके पास ही पुराना तालाब गांव हैं।…

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समेलिया धाम की सम्पूर्ण जानकारी

भीलवाड़ा जिले की मांडल तहसील के समेलिया गांव के पास मेजा बांध क्षेत्र में स्थापित यह बिशनोई मन्दिर श्री गुरु जम्भेस्वर भगवान् की अष्ट धामो में से एक हे ! वि.सं.1637 में निर्मित यह विशाल मन्दिर बिशनोई समाज की अमुल्य…

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जांभाणी साहित्य अकादमी

साहित्य समाज का दर्पण व दीपक होता है इसलिए साहित्य की महत्ता में कहा गया है ” अन्धकार है वहां , जहां आदित्य नहीं है मुर्दा है वह देश, जहाँ साहित्य नहीं है ! ” आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने…

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