कवि केशो जी देहड़ू

जीवन काल 1500-1580 अनुमानित हैं ये हजूरी कवि थे।इनकी एक मात्र ही साखी मिलती है।राग सुहब में गेय कणा की साखी है।इसे जुमलै की तीसरी साखी के रूप में मान्यता प्राप्त है।आवो मिलो जुमलै जुलो,सिंवरो सिरजणहारसतगुरु सतपंथ चालिया,खरतर खण्डाधारजम्भेश्वर जिभिया…

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बुचोजी ऐचरा का बलिदान

इस बिश्नोई पँन्थ का इतिहास बडा़ गौरवशाली रहा है जहाँ पर अपने धर्म के ख़ातिर गुरुदेव के वचनो के लिये अपना बलिदान दे दिया “गुरु के वचने निव खिव चालो “ओर आज हम है जो अनेक व्यसनो से घिरे पडे़…

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1. गुरु जाम्भोजी बाल लीला-काल

गुरु जाम्भोजी सामान्य मनुष्य नहीं थे। वे तो साक्षात् ईश्वर थे। इसलिए गुरु जाम्भोजी ने जन्म से ही अपनी अलौकिक शक्ति का परिचय देना प्रारम्भ कर दिया था। जन्म के बाद गांव की कोई भी स्त्री बालक को जन्म घूंटी…

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1. गुरु जाम्भोजी का अवतार

राजस्थान में मरूभूमि का नागौर, नागौरी बैलों के लिए पूरे देश में प्र्सिद  है। यह पहले एक परगना था और इस समय एक जिला है। नागौर से पच्चास किलोमीटर  उतर में पीपासर नामक गांव है। यह गांव अत्यन्त प्राचीन है।…

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1. Shree Guru Jambheshwar Ji

सिर साटै ई रूंख रहै तौई सस्तौ जाण श्री जांभोजी महाराज जाम्भोजी का जन्म नागौर परगने के पीपासर ग्राम में हुआ था। उनकी जन्म तिथि भाद्रपद वदी अष्टमी, सोमवार, कृतिका नक्षत्र में विक्रमी 1508 में हुआ था। इनकी माता हाँसादेवी…

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2. श्री जम्भेष्वर भगवान के परम शिश्य स्वामी विल्होजी

श्री जम्भेष्वर भगवान के परम शिश्य स्वामी विल्होजी ने कहा है – जीव दया नित राख पाप नहीं कीजिए । जांडी हिरणं संहार देख सिर दीजिए। बिशनोई समाज ने अपने धर्मगुरू की इन बातों की पालना बखूबी की है और…

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3. परम पुज्य स्वामी भागीरथदास जी आचार्य

परम पुज्य स्वामी भागीरथदास जी आचार्य जम्भ वाणी के 120 शब्दों के हवन उपरान्त जम्भेश्वर भगवान की आरती करते हुए पुज्य स्वामी भागीरथदास जी आचार्य के चरणो मे बार बार प्रणाम . निवण बड़ी संसार में नहीं नीवे सो नीच…

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1. श्री जम्भेष्वर भगवान (जाम्भोजी)

जाम्भोजी का जन्म सन् 1451 ई० में नागौर जिले के पीपासर नामक गाँव में हुआ था। ये जाति से पंवार राजपूत थे। इनके पिता का नाम लोहाट जी और माता का नाम हंसा देवी ( केशर ) था । ये…

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