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Lil na laawe

निवण प्रणाम जी👏29-“लील न ला वै अंग देखत दूर ही भागे”इस नियम के दो अर्थ निकाले जा रहे हैं।लील-खत्म हुआ,मरा हुआ,मासलील-नीला वस्त्रमास खाने वालो के लिए नरक का दरवाजा खुला रहता है।व्यक्ति जिस प्राणी के मांस को खाता है, वे…

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निवण प्रणाम जी आज की चर्चा( मन) को लेकर है।।

श्री गुरुजम्भेश्वर जी ने विभिन प्रसंगों में अनेक बार मन उसकी एकाग्रता और उसको बस में रखने का आदेश-उपदेश दिया है।1-सतगुरु तोड़ै मन का साला2-रे मुल्ला मन माही मसीत निवाज गुजारिये3-काया त कंथा मन जोगूंटो सिंगी सास उसासू4-दोय दिल दोय…

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हरी कंकेड़ी मंडप मेड़ी जहाँ हमारा वासा: श्री गुरु जम्भेश्वर के कथन के गूढ़ वैज्ञानिक अभिप्राय

(Maytenus imarginata: The mystic tree of Bishnoism)बिश्नोई धर्मग्रंथ सबदवाणी (Sabadvani) में पृथ्वी अठारह भार वनस्पति से सुशोभित बताई गयी है एंव बिश्नोई पौराणिकी (Bishnoi Mythology) में वृक्षों की बहुत सी प्रजातियों (Species) का सन्दर्भ प्राप्त होता है. इन सभी प्रजातियों…

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सुगरा-नुगरा

अनादि काल से गुरु प्रथा चली आ रही है।परंतु हम बहुत ज्यादा परम्परावादी व अंधविश्वासी बन गये है अतः इस प्रथा का दुरुपयोग भी बहुत होता आया है।विभिन्न सम्प्रदायों में गुरु धारण करने की प्रथा है इसमें जनता को इतना…

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निवण प्रणाम जी👏👏

निवण प्रणाम बिश्नोई समाज की मूल अभिवादन प्रणाली है।प्रतिवचन में “जाम्भोजी नै या गुरु महाराज नै विसन भगवान नै या नारायण नै”कहा जाता है।“नै” का अर्थ ‘को’ है -श्री गुरुजाम्भो जी को विसन को आदि।।निवण प्रणाम में नम्रतायुक्त,पूज्यभाव सर्वोपरि है।इसके…

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विपस्सना ध्यान क्या है? लाभ, कैसे करें

विपस्सना ध्यान क्या है? (Vipassana meditation in Hindi) इसके लाभ, कैसे करें एवं इसका कोर्स और केंद्र के विषय में पूरी जानकारी। दोस्तों शरीर को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से मानव तरह तरह के व्यायाम करता रहता है, जिससे उसका शरीर…

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गुरु महाराज की शब्द वाणी से दूर होते समाज के नए चेहरे

समाज के कुछ बुद्धिजीवी वेबिनार और कही डिजिटल तरीको से शब्दवाणी का ज्ञान बच्चो को देने की कोशिश में लगे हुए हैं। पर आज कल इंग्लिश मीडियम का प्रचलन जो हो चुका हैं इसकी वजह से बहुत सारे बच्चे हिंदी…

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बिशनोई पंथ स्थापना दिवस पर विशेष

🙏🏻🙏🏻 निवण प्रणाम जी कार्तिक वदी अष्टमी के दिन सवत् 1542 विसनोई पंथ स्थापना दिवस कार्तिक वदी हरि कलश थापियो अन्न दे जीव उबारिया 1540 से 1542 तक लगातार भयंकर अकाल था उस समय गुरु जांभोजी ने अकाल ग्रस्त लोगों…

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आचार विचार और शब्दवाणी

निवण प्रणाम जी👏 आज की चर्चा अपने आचार-विचार व्यवहार को लेकर हैैं। कुड़ तणो जे करतब कियो ना तै लाभ न सायो भूला प्राणी आल बखाणी झूठ का सहारा लेकर तुम यदि कोई भी कार्य करोगे तो उससे तुम्हे कोई…

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