

शब्द नं 118
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सुरगां हूंता स्वयंभू आयौ पूर्व जन्म का एक तपस्वी कारणवश पुनः मनुष्य के रूप में उत्पन्न हुआ। उसे अपने पूर्व जन्म में घटित वह घटना याद रही, जिसके कारण उसे पुनः जन्म धारण करना पड़ा। अतः वह जन्म से ही मौन रहा। कभी किसी से कुछ नहीं बोला।जब वह दस बारह वर्ष का हो गया और बोला नहीं तो उसकी मां को बड़ी चिंता हुई।ऐसा सुंदर सुशील,समझदार पुत्र पाकर भी जब वह कुछ नहीं बोले, हर समय मौन रहे…