Sanjeev Moga

Sanjeev Moga

शब्द नं 103

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 देख्या अदेख्याः सुण्या असुण्या मूला नाम का एक ब्राह्मण था। उसके कोई संतान नहीं थी। उसने अपनी बहन के पुत्र को पाल-पोष कर बड़ा किया तथा उसे ही अपना पुत्र जान अपना घर-बार, धन-संपत्ति सब कुछ उसे सौंप दिया।वह स्वयं जाम्भोजी के पास रहकर अपना समय भक्ति भाव से काट रहा था। एक बार वह गुरु जी से आज्ञा लेकर अपने घर गया तब उसने वहां अपनी पत्नी एवं भांजे को आपत्तिजनक स्थिति में सोए देखा। अपने घर में,जो…

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शब्द नं 104

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 कण कंचण दानूं कछू न मानू एक समय दूर देश, बिजनौर का रहने वाला एक धनी बिश्नोई समराथल धोरे पर गुरु महाराज के पास आया। उसने गुरु महाराज के चरणो में छः धडी सोना भेंट चढ़ाया और प्रार्थना की कि वह गुरु महाराज के बतलाये 29 नियमों का पालन करता है, परंतु प्रातः काल स्नान करने का नियम बहुत कठिन है, अतः गुरु महाराज उसे इस स्नान करने के नियम में छूट दें।इसके लिए वह और दान पुण्य कर…

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शब्द नं 105

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 आपै अलेख उपन्ना शिंभू दूदा मेड़तिया तथा जोधपुर नरेश मालदेव ने श्री जम्भेश्वर महाराज द्वारा प्रलय के प्रकार और महाप्रलय में समस्त सृष्टि का ब्रह्म में लीन होने की कथा सुनने के पश्चात गुरु महाराज से प्रश्न किया कि महाप्रलय के पश्चात जब पुनः सृष्टि प्रारंभ हुई तब सर्वप्रथम किस की और कैसे उत्पत्ति हुई?मालदेव की जिज्ञासा जान गुरु महाराज ने यह शब्द कहा:- आप अलेख उपन्ना सिंभु निरह निरंजन धंधुकारूं आपै आप हुआ अपरंपर नै तद चंदा नै…

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शब्द नं 106

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सुंण रे काजी- सुंण रे मुल्ला एक समय श्री जंभेश्वर महाराज काबुल मुल्तान होते हुए हज-काबे पहुँचे।वहां दरिया के किनारे एक मछुआरा मछली पकड़ रहा था।जाम्भोजी ने उसे मछली मारने से मना किया उसे तथा काजी को चमत्कार दिखाकर उन्हें जीव हिंसा से रोका तथा अपना शिष्य बनाया।गुरु महाराज की महिमा सुन उन्हें सच्चा पीर जान बारह काजी और तेरह खान उनके पास आये। उन्होंने एक-एक कर गुरु महाराज को नमस्कार किया तथा कहा कि वे उनके शिष्य बन…

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शब्द नं 107

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सहजे शीले सेज बिछायों एक समय की बात है, पाँच सौ वैरागी साधुओं की एक जमात महंत लालदास के साथ हरिद्वार से द्वारिकापुर जा रही थी। उस जमात ने रास्ते में पीपासर ग्राम के पास विश्राम किया। स्थानीय लोगों ने जब उस संत मंडली को कोई विशेष महत्व नहीं दिया और उनके सामने श्री जांभोजी महाराज का बखान किया तो महंत लालदास ने अपने एक शिष्य को जांभोजी के पास समराथल धोरे भेजा कि यदि कोई पाखंडी हो तो…

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शब्द नं 108

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 हालिलो-भल पालिलो पूर्व शब्द के प्रसंगानुसार जब श्री जंभेश्वर महाराज ने सतगुरु की शरण में जाने और आत्म साक्षात्कार करने संबंधी शब्द कहा तब उसी वैरागी साधु ने गुरु महाराज से प्रार्थना की कि वे उसे कोई योग साधना बतलावें, जिससे उसका अन्तःकरण शुद्ध बने, धर्म की प्राप्ति हो और साथ ही धन की भी प्राप्ति, क्योंकि धन के बिना इस संसार में कोई सुखी नहीं हो सकता।उस साधु द्वारा योग,धर्म एवं धन तीनों एक साथ प्राप्त करने की…

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शब्द नं 109

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 देखत भूली को मन मानै पूर्व प्रसंगानुसार हरिद्वार से आने वाली उस साधु जमात के उस योगी ने श्री जंभेश्वर महाराज द्वारा कहा हुआ पूर्व शब्द सुना तो उसने कहा कि योगासाधना द्वारा जिस ब्रह्मानंद को प्राप्त करने के विषय में आपने कहा उसे तो मैं अनुभव कर चुका हूँ।वह मुझे याद है। उस योगी की ऐसी स्वीकारोक्ति सुन गुरु महाराज ने उसे तथा उसकी जमात के सामने यह शब्द कहा:- देखत भुली को मन मानै सैवे बिलोवै बांझ…

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