

Kum kum kera charan(Audio)
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Protectors of nature, guardians of life.
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🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *भल पाखंडी पाखंड मंडा* एक दूर देश का रहने वाला साधु,जाम्भोजी की महिमा सुन बीकानेर राज्य का ठिकाना पूछता हुआ,पीपासर के पास धुंपालिये गाँव पहुँचा।जब उक्त साधु ने उस गाँव में जाम्भोजी का पता ठिकाना पूछा, तो एक महिला ने बताया कि वे कोई देव पुरुष नहीं है, बल्कि एक पाखंडी है।महिला की बात सुन वह दूर देश का वासी बड़ा दुखी हुआ।उस साधु की ह्रदय पीड़ा जान गुरु महाराज ने अपना आदमी भेज, उसे समराथल पर बुलाया और…
Aarti dev samrathal ki Click here to Download Audio
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *अलख अलख तूं अलख न लखणा* पूर्वोत्तर प्रसंगानुसार! जब उस आगंतुक साधु ने गुरु जंभेश्वर महाराज से शब्द सुना तो उसे जाम्भोजी के विषय में ज्ञान हुआ तथा उसने उस ग्रामीण महिला के प्रति कुछ कटु शब्द कहे,तब गुरु महाराज ने उसे कड़वे शब्द न बोलने के लिए तथा ब्रह्म की एकता एवं अद्वेतता के संबंध में यह शब्द कहा:- *अलख अलख तू अलख न लखना मेरा अनन्त इलोलूं।* हे भक्त! तुम बड़े भोले हो। अलख,अलख है,उसे कोई कैसे…
Samrathal re dhore chadta Click here to Download Audio
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *जो नर घोडे चढै पाघ न बांधै* एक बार समराथल धोरे पर विराजमान जाम्भोजी से संत मंडली के लोगों ने योग तथा ज्ञान के विषय में जानने की जिज्ञासा प्रकट की। गुरु महाराज ने अत्यंत प्रसन्न भाव से समझाया कि शुभ कर्म करने तथा हरीभजन से जब मनुष्य का काम, क्रोध एवं अहंकार नष्ट होता है तभी उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है।इसी संदर्भ में श्री जंभेश्वर महाराज ने यह शब्द कहा:- *जोर नर घोड़े चढ़े पाग न बांधे…
अंत_समय_राम_नाम_कैसे_गायेगा Click here to Download
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *मूंड मुंडायो,मन न मुंडायो* समराथल धोरे पर संत मंडली के साथ बैठे एक सन्यासी ने गुरु जंभेश्वर महाराज से कहा कि उसने अपनी दाढ़ी मूंछ एवं सिर मुंडवा लिया है। सिर मुंडाने के बाद हर व्यक्ति योगी हो जाता है,तब उसे और क्या कुछ करने की आवश्यकता रह गई है? सन्यासी की बात सुन, गुरु महाराज ने यह शब्द कहा:- *मूंड मुंडायौ मन न मुंडायो मोह अबखल दिल लोभी* हे साधु ! तुमने मूँड तो मुँडाया परन्तु अपने मन…
तारणहार थला सिर आयो जे कोई तरै सो तरियो जीवनै। जे जीवड़ा को भलपण चाहो सेवा विष्णु की करियो जीवनै। मिनखा देही पड़े पुराणी भले न लाभे पुरियो जीवनै। अडसठ तीरथ एक सुभ्यागत घर आये आदरियो जीवनै। देवजी री आस विष्णुजी री संपत कुड़ी मेर न करियो जीवनै। रावा सूं रंक रंके राजिंदर हस्ती करे गाडरियो जीवनै। उजड़वाला बसे उजाड़ा शहर करै दोय घरियो जीवनै| रीता छाले छाला रीतावै समन्द करै छीलरियो जीवनै। पाणी सूं घृत कुडीसु कुरड़ा सोघीता बजरियो…
आवो मिलो जुमलै जुलो, सिंवरो सिरजणहर। सतगुरू सतपंथ चालिया,खरतर खाण्डे धार। जम्भेश्वर जिभिया जपो, भीतर छोड़ विकार। सम्पत्ति सिरजणहर की, विधिसूं सुणों विचार। अवसर ढील न कीजिए, भले न लाभे वार। जमराजा वासे बह तलबी कियो तैयार। चहरी वस्तु न चाखियो उर पर तज अहंकार। बाड़े हूतां बीछड़या जारी सतगुरू करसी सार। सेरी सिवरण प्राणियां अन्तर बड़ो आधार। पर निंदा पापां सिरे भूल उठाये भार। परलै होसी पाप सूं मूरख सहसी मार। पाछे ही पछतावसी पापां तणी पहार। ओगण गारो…
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *भोम भली कृषाण भी भला* गाँव जेतसर का जोधा नाम का एक जाट था। उसने कभी कोई शुभ कर्म नहीं किया, परंतु एक बार गर्मी के मौसम में उसने भूखे प्यासे कई साधु जनों को देखा। वह उन्हें अपने घर ले गया। जोधा ने साधुओं की अच्छी प्रकार सेवा टहल की, ठंडा पानी पिलाया ,अच्छा खाना खिलाया, ठंडी छाया, आराम करवाया। केवल एक दिन के साधु सत्कार से,उसके पूर्व जन्मों के सारे पाप नष्ट हो गये। उसका जीवन धर्ममय…
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