Sanjeev Moga

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2. श्री जम्भेष्वर भगवान के परम शिश्य स्वामी विल्होजी

श्री जम्भेष्वर भगवान के परम शिश्य स्वामी विल्होजी ने कहा है – जीव दया नित राख पाप नहीं कीजिए । जांडी हिरणं संहार देख सिर दीजिए। बिशनोई समाज ने अपने धर्मगुरू की इन बातों की पालना बखूबी की है और आवष्यकता पडने पर अपनी जान तक देने में पीछे नहीं हआ है । आज के इस भौतिक चकाचौंध के युग में जहां भाई को भाई के लिए समय नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर बिशनोई समाज आज भी इन निरीह मूक…

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3. परम पुज्य स्वामी भागीरथदास जी आचार्य

परम पुज्य स्वामी भागीरथदास जी आचार्य जम्भ वाणी के 120 शब्दों के हवन उपरान्त जम्भेश्वर भगवान की आरती करते हुए पुज्य स्वामी भागीरथदास जी आचार्य के चरणो मे बार बार प्रणाम . निवण बड़ी संसार में नहीं नीवे सो नीच नीवं नदी रो रूंखड़ो, रेवे नदी रे बीच नींवे जो आमा आमली, नीवं दाड़म दाख इरंड बिचारा क्या करे जांरी अ ओछी कहीजे साख

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1. श्री जम्भेष्वर भगवान (जाम्भोजी)

जाम्भोजी का जन्म सन् 1451 ई० में नागौर जिले के पीपासर नामक गाँव में हुआ था। ये जाति से पंवार राजपूत थे। इनके पिता का नाम लोहाट जी और माता का नाम हंसा देवी ( केशर ) था । ये अपने माता – पिता की इकलौती संतान थे। अत: माता – पिता उन्हें बहुत प्यार करते थे।जाम्भोजी बाल्यावस्था से मौन धारण किये हुए थे ।तत्पश्चात् उनका साक्षात्कार गुरु से हुआ। उन्होंने सात वर्ष की आयु से लेकर 27 वर्ष की…

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जांभाणी साहित्य अकादमी

साहित्य समाज का दर्पण व दीपक होता है इसलिए साहित्य की महत्ता में कहा गया है ” अन्धकार है वहां , जहां आदित्य नहीं है मुर्दा है वह देश, जहाँ साहित्य नहीं है ! ” आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा है कि जिस जाति के पास साहित्य नहीं होता, वह बर्बर हो जाती है। इन उक्तियों का अभिप्राय यह है कि वह राष्ट्र व समाज अत्यन्त भाग्यशाली है जिसके पास साहित्य रूपी धन है। भारत में साहित्य की महत्ता…

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श्री गुरू जम्भेश्वर मन्दिर सोनडी बाड़मेर

श्री गुरू जम्भेश्वर मन्दिर सोनडी बाड़मेर जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दुर यहाँ वर्ष मैं तीन बार मेला भरता है ! फाल्गुन , चैत्र , व भाद्रपद की अमावस्या को ! ये मालाणी बाहुल्य का सबसे बड़ा मन्दिर है

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शब्द 80

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *जे म्हां सूता रैन बिहावै* एक समय की बात है कि कूनौज वासी कई बिश्नोई गुरु जंभेश्वर के पास समराथल आये और एक मखमली बिछौना गुरु महाराज को भेंट किया तथा कहा कि यह इतना मुलायम है कि इस पर सोने से,ऐसी गहरी नींद आयेगी कि आप जल्दी से जाग भी नहीं पायेंगे।श्रद्धालु भक्तों की भोली बात सुन गुरु महाराज ने उन्हें यह शब्द कहा:- *जे म्हां सुता रैण बिहावै बरते बिम्बा बारुं* हे भोले भक्तों!यदि हम सो जावें…

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