

अमर ज्योति मार्च 2023
अमर ज्योति मार्च 2023
Protectors of nature, guardians of life.
Protectors of nature, guardians of life.
अमर ज्योति मार्च 2023
ओउम नमों गुरुजम्भ्जी, चरण नवांऊ शीश | पर ब्रह्मपरमात्मा, पूर्णविश्वा बिश |जय गुरु जम्भेश्वर जय गुरु दैया | सत चित आनन्द अलख अभेवा ||१||लोहट घर अवतार धरया | माता हंसा लाड लडाया ||२||सकल सुष्टि के तुम हो स्वामी | घट-घट व्यापक अन्तर्यामी ||३||ब्रह्मा, विष्णु अरु महादेवा | ये सब करै आपकी सेवा ||४||सुरनर मुनिजन ध्यान लगावै | अलख पुरुष थारो भेद न पावे ||५||हाड, मांस,लोहू नहीं काया | आप ही ब्रहम आप ही माया ||६||दस अवतार आप ही धारा |…
।।दोहा।। श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥1॥मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न…
हनुमान चालीसा तुलसीदास की अवधी में लिखी एक काव्यात्मक कृति है जिसमें प्रभु राम के महान भक्त हनुमान के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। यह अत्यन्त लघु रचना है जिसमें पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है। इसमें बजरंग बली की भावपूर्ण वंदना तो है ही, श्रीराम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया है। वैसे तो पूरे भारत में यह लोकप्रिय है किन्तु विशेष रूप से उत्तर भारत में यह बहुत…
महामृत्युञ्जय मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र (“मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र”) जिसे त्रयंबकम मंत्र भी कहा जाता है, यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में, भगवान शिव की स्तुति हेतु की गयी एक वंदना है। इस मंत्र में शिव को ‘मृत्यु को जीतने वाला’ बताया गया है। यह गायत्री मंत्र के समकालीन हिंदू धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मंत्र है। मंत्र ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का एक श्लोक है यह…
गायत्री महामंत्र (वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्ता ॐ के लगभग बराबर मानी जाती है। यह यजुर्वेद के मंत्र ॐ भूर्भुवः स्वः और ऋग्वेद के छंद 3.62.10 के मेल से बना है। इस मंत्र में सवित्र देव की उपासना है इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। ‘गायत्री’ एक छन्द भी है जो ऋग्वेद के सात प्रसिद्ध छंदों में एक…
सर्वप्रथम गुरूदेव की वन्दना करता हूं, क्योंकि गोविन्द से भी गुरू महान है। गुरू को प्रणाम करने के पश्चात् सभी सन्तों को प्रणाम करता हूं। तत्पश्चात् विष्णु परमात्मा को नमन करता हूं, क्योंकि विष्णु को प्रणाम करने से व्याधि शारीरिक रोग-कष्ट मिट जाते है तथा मानसिक बीमारियां भी जिनकी वन्दना करने से नष्ट हो जाती है। जिस विष्णु की कृपा के प्रताप से हृदय में ज्ञान का प्रकाश हो जायेगा। अनेक जन्मों के किये हुए पाप कर्म कट जायेंगे और…
सूर्यदेव की दो भुजाएँ हैं, वे कमल के आसन पर विराजमान रहते है ; उनके दोनों हाथों में कमल सुशोभित हैं। उनके सिर पर सुन्दर स्वर्ण मुकुट तथा गले में रत्नों की माला है। उनकी कान्ति कमल के भीतरी भाग की-सी है और वे सात घोड़ों के रथ पर आरूढ़ रहते हैं। सूर्य देवता का नाम सविता भी है, जिसका अर्थ है- सृष्टि करने वाला ‘सविता सर्वस्य प्रसविता’ । ऋग्वेद के अनुसार आदित्य-मण्डल के अन्तःस्थित सूर्य देवता सबके प्रेरक, अन्तर्यामी तथा परमात्मस्वरूप…
चन्द्रदेव का वर्ण गौर है। इनके वस्त्र, अश्व और रथ तीनों श्वेत हैं। ये सुन्दर रथ पर कमल के आसन पर विराजमान हैं। इनके सिर पर सुन्दर स्वर्ण मुकुट तथा गले में मोतियों की माला है। इनके एक हाथ में गदा है और दूसरा हाथ वर मुद्रा में है। श्रीमद् भागवत के अनुसार चन्द्रदेव महर्षि अत्रि और अनसूया के पुत्र हैं। इनको सर्वमय कहा गया है। ये सोलह कलाओं से युक्त हैं। इन्हें अन्नमय, मनोमय, अमृतमय पुरूषस्वरूप भगवान् कहा जाता…
मंगल देवता की चार भुजाएँ हैं। इनके शरीर के रोयें लाल हैं। इनके हाथों में क्रम से अभयमुद्रा, त्रिशूल, गदा और वरमुद्रा है। इन्होंने लाल मालाएँ और लाल वस्त्र धारण कर रखे हैं। इनके सिरपर स्वर्ण मुकुट है तथा ये मेष (भेड़ा) के वाहन पर सवार हैं। वाराह कल्प की बात है। जब हिरण्यकशिपुका बड़ा भाई हिरण्याक्ष पृथ्वी को चुरा ले गया था और पृथ्वी के उद्धार के लिये भगवान् ने वाराहावतार लिया तथा हिरण्याक्ष को मारकर पृथ्वी देवी का…
बुध पीले रंग की पुष्पमाला तथा पीला वस्त्र धारण करते हैं। उनके शरीर की कान्ति कनेर के पुष्प की जैसी है। वे अपने चारों हाथों में क्रमशः – तलवार, ढाल, गदा और वरमुद्रा धारण किये रहते हैं। वे अपने सिर पर सोने का मुकुट तथा गले में सुन्दर माला धारण करते हैं। उनका वाहन सिंह है। अथर्ववेद के अनुसार बुध के पिता का नाम चन्द्रमा और माता का नाम तारा है। ब्रह्माजी ने इनका नाम बुध रखा, क्योंकि इनकी बुद्धि…
देव गुरू बृहस्पति पीत वर्ण के हैं। उनके सिर पर स्वर्ण मुकुट तथा गले में सुन्दर माला है। वे पीत वस्त्र धारण करते हैं तथा कमल के आसन पर विराजमान हैं। उनके चार हाथों में क्रमशः – दण्ड, रूद्राक्ष की माला, पात्र और वरदमुद्रा सुशोभित है। महाभारत आदिपर्व एवं तै. सं. के अनुसार बृहस्पति महर्षि अड़िग्रा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। ये अपने प्रकृष्ट ज्ञान से देवताओं को उनका यज्ञ-भाग प्राप्त करा देते हंै। असुर यज्ञ में विघ्र…