
शब्द नं 94
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सहस्त्र नाम साई भल शिंभू जोधपुर के राव मालदेव ने श्री जंभेश्वर महाराज से प्रसन्न किया कि आदि देव परमात्मा के कितने नाम हैं?वह किन-किन नामों से जाना जाता है? रावजी की जिज्ञासा जान गुरु महाराज ने यह शब्द कहा:- सहस्र नाम सांई भल सिंभु म्हे उपना आदि मुरारी हें जिज्ञासु! आदि देव परमात्मा के हजारों नाम है। वह सब का स्वामी है। उस मुरारी को किसी ने नहीं बनाया, वह स्वयं अपने आप उत्पन्न हुआ है। वही आदि…


शब्द नं 95
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 वाद विवाद फिटाकर प्राणी एक ज्योतिषी ने जोम्भोजी से प्रश्न किया कि ज्ञान तो वेद- शास्त्रों पर विचार मंथन करने से तथा शास्त्रार्थ करने से आता है और इस कार्य के लिए कोई जल्दी भी नहीं है। बहुत बड़ी उम्र पड़ी है।अब तो सांसारिक जीवन के सुख भोग का समय है। ज्योतिषी के उपर्युक्त विचार जान, जाम्भोजी ने उसके सम्मुख यह शब्द कहां:- वाद विवाद फिटाकर पिराणी छाड़ो मनहट मन को भाणों हे प्राणी!वाद-विवाद करना छोड। व्यर्थ का तर्क-वितर्क…



शब्द नं 96
सुंण गुणवंता,सुंण बुधवंता एक बार गोपीचंद,भरथरी और गोरखनाथ समराथल धोरे पर आये और गुरु जंभेश्वर महाराज से सांकेतिक भाषा में पूछा कि वे कौन पुरुष है?उनका ठिकाना क्या है?उनके गुरु कौन हैं? किस उद्देश्य से मानव देह धारण कि है? गुरु महाराज उनके प्रश्नों एवं छिपे व्यंग को जानकर प्रथम तो मन ही मन हँसे और उसके बाद उन्हें यह शब्द कहा:- सुण गुणवतां सूण बुधवंता मेरी उत्पति आद लुहारूं हे गुणवान ! हे बुद्धिमान! सुनो मैं सृष्टि का सृजन…


शब्द नं 97
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 विष्णु विष्णु तूं भण रे प्राणी एक समय गंगा पार के विश्नोई गुरु जंभेश्वर के पास समराथल आ रहे थे। उन्होंने रोटू के पास मांगलोद गांव के किनारे एक सरोवर के पास विश्राम किया। वहीं एक माता जी का प्रसिद्ध मंदिर था। मंदिर का पुजारी ऊदा नामक एक प्रसिद्ध देवी भक्त था। देवी उसके मुख बोलती थी। ऊदे ने बिश्नोईयों से कहा कि वे समराथल जाकर क्या लायेंगे? उनकी मनोकामना तो देवी ही पूर्ण कर देगी।बिश्नोईयों ने कहाकि वे…



शब्द नं 98
जिंहि गुरु के खिण ही ताऊ-खिंण ही सीऊ एक समय समराथल धोरे पर जमाती भक्तजनों ने गुरु जंभेश्वर महाराज से संसार एवं प्रकृति की परिवर्तन शीलता के विषय में जानना चाहा कि वह कौन सी शक्ति है जो क्षण भर में कुछ का कुछ कर देती है? भक्त जनों की जिज्ञासा जान गुरु महाराज ने यह शब्द कहा:- जिहिं गुरु कै खिंण ही ताऊं खिंण ही सीऊं हे जिज्ञासु जन! उस परमपिता परमेश्वर सतगुरु की महिमा अपार हैं।उसकी इच्छा मात्र…




