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शब्द 89

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *उरधक चन्दा निरधन सूरुं* बाजेजी के साथ आए मलेर कोटले के शेख -सदू ने श्री जंभेश्वर महाराज का शिष्यत्व स्वीकार किया एवं विश्नोई बनकर अपने पूर्व पापों का प्रायश्चित किया। इस अवसर पर भगत बाजेजी ने गुरु महाराज के सम्मुख जिज्ञासा प्रकट की कि सत्य लोक कितने योजन दूर है? सूर्य,चंद्रमा एवं तारामंडल के तारे कितनी दूर है? गुरुदेव कृपा शून्य मंडल और उससे परे की बातें बतलाने की कृपा करें। भक्त के प्रश्न को जान गुरु महाराज ने…

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शब्द 90

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *चोईस चेडा कालिंग केडा* गाँव रोटू में साहणिया नाम का एक व्यक्ति था, उसे एक चेड़ा चिप गया।वह प्रेत अपनी शक्ति के बल पर साहणिया के माध्यम से अनेक प्रकार के चमत्कार दिखाने लगा। प्रेत-ग्रस्त साहणियां अपने आप को जांम्भोजी का बड़ा भाई कहकर,लोगों को भ्रमाने लगा। उसने लोगों से कहा कि जाम्भोजी के पास जाने की आवश्यकता नहीं है।चहमें-चहमें मंत्र का जाप करो,पहले पानी पीवो,फिर स्नान करो।भक्तजनों के कहने से गुरु जंभेश्वर महाराज उसके पास रोटू गये। उसकी…

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शब्द 91

शब्द नं 91 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *छंदे मंदे बालक बुद्धे* फलोदी शहर के राव हमीर के दरबार में एक राजपूत बाजीगर आया तथा उसने राव को अपनी कलाबाजी का खेल दिखाने के लिए अपनी स्त्री को राव हमीर के सुरक्षित निवास स्थान में रखने को कहा तथा बतलाया कि वह सूर्य की किरणों के सहारे आकाश मंडल में जा रहा है। राव ने उसकी स्त्री को निवास में भेज दिया। वह बाजीगर एक कच्चे धागे को ऊपर फेंक कर खुद उसके सहारे…

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शब्द नं 92

*काया कोट पवन कुटवाली* एक समय की बात है, एक वेद पाठी-योगी गुरु जंभेश्वर के पास समराथल आया। उसने जब गुरु महाराज के क्रिया- कलाप देखे,तब वह यह जानकर बड़ा प्रभावित हुआ कि बिना वेद शास्त्र पढ़े,कोई कैसे ऐसी विवेक पूर्ण बातें बतला सकता है। उस योगी ने जब जांभोजी से इन बातों का रहस्य जानना चाहा, तब गुरु महाराज ने उसे यह शब्द कहा:- *काया कोट पवंण कुट वाली कुकरम* *कुलफ बणायौ* हे जिज्ञासु जोगी! यह मानव शरीर एक…

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शब्द 93

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *ओम् आद शब्द अनाहद बाणी* एक समय की बात,जोधपुर नरेश राव मालदेव समराथल धोरे पर आये और उन्होंने गुरु जंभेश्वर भगवान के सम्मुख जिज्ञासा प्रकट की कि सृष्टि के आदि काल में कौन देवता उत्पन्न हुआ? मालदेव की जिज्ञासा जान,गुरु महाराज ने उसे यह शब्द कहा:- *ओम आदि सबद अनाहद वांणी चवदै* *भूवन रहया छल पांणी* हे जिज्ञासु! जिस समय यह सृष्टि रची,उससे पहले इस संपूर्ण ब्रह्मांड में एक अनहद-नाद, अनहत ध्वनि,शाश्वत नाद परिव्याप्त था। परमब्रह्म, सदाशिव के उस…

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