ढाणी मांजरा फतेहाबाद
ढाणी मांजरा फतेहाबाद
शब्द 88
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *गोरख लो गोपाल लो* जैसलमेर के राव जेतसिंह को कुष्ठ रोग हो गया था, जो श्री जंभेश्वर भगवान की शरण में आने से दूर हो गया। जेतसिंह ने उसकी प्रसन्नता एंव श्रद्धावश अपने शहर जैसलमेर में एक यज्ञ महोत्सव किया। वहां गुरु जंभेश्वर को आमंत्रित किया।उस यज्ञ महोत्सव में हजारों साधु-संत एवं राजा महाराजा एकत्रित हुए। यज्ञ संपन्न होने के पश्चात जब सब आगंतुक विदा होने लगे,उस समय गुरु महाराज ने जेतसिंह एवं अन्य लोगों के प्रति यह शब्द…
झलनियां (फतेहाबाद) बिश्नोई मंदिर
झलनियां (फतेहाबाद) बिश्नोई मंदिर
शब्द 89
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *उरधक चन्दा निरधन सूरुं* बाजेजी के साथ आए मलेर कोटले के शेख -सदू ने श्री जंभेश्वर महाराज का शिष्यत्व स्वीकार किया एवं विश्नोई बनकर अपने पूर्व पापों का प्रायश्चित किया। इस अवसर पर भगत बाजेजी ने गुरु महाराज के सम्मुख जिज्ञासा प्रकट की कि सत्य लोक कितने योजन दूर है? सूर्य,चंद्रमा एवं तारामंडल के तारे कितनी दूर है? गुरुदेव कृपा शून्य मंडल और उससे परे की बातें बतलाने की कृपा करें। भक्त के प्रश्न को जान गुरु महाराज ने…
पंचकूला बिश्नोई मंदिर
पंचकूला बिश्नोई मंदिर
शब्द 90
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *चोईस चेडा कालिंग केडा* गाँव रोटू में साहणिया नाम का एक व्यक्ति था, उसे एक चेड़ा चिप गया।वह प्रेत अपनी शक्ति के बल पर साहणिया के माध्यम से अनेक प्रकार के चमत्कार दिखाने लगा। प्रेत-ग्रस्त साहणियां अपने आप को जांम्भोजी का बड़ा भाई कहकर,लोगों को भ्रमाने लगा। उसने लोगों से कहा कि जाम्भोजी के पास जाने की आवश्यकता नहीं है।चहमें-चहमें मंत्र का जाप करो,पहले पानी पीवो,फिर स्नान करो।भक्तजनों के कहने से गुरु जंभेश्वर महाराज उसके पास रोटू गये। उसकी…
Jambheshwar Dhun
Read MoreJambheshwar Dhunशब्द 91
शब्द नं 91 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *छंदे मंदे बालक बुद्धे* फलोदी शहर के राव हमीर के दरबार में एक राजपूत बाजीगर आया तथा उसने राव को अपनी कलाबाजी का खेल दिखाने के लिए अपनी स्त्री को राव हमीर के सुरक्षित निवास स्थान में रखने को कहा तथा बतलाया कि वह सूर्य की किरणों के सहारे आकाश मंडल में जा रहा है। राव ने उसकी स्त्री को निवास में भेज दिया। वह बाजीगर एक कच्चे धागे को ऊपर फेंक कर खुद उसके सहारे…
पहले जैसा प्रेम हमेशा कोनी रहवे ओ
Read Moreपहले जैसा प्रेम हमेशा कोनी रहवे ओशब्द नं 92
*काया कोट पवन कुटवाली* एक समय की बात है, एक वेद पाठी-योगी गुरु जंभेश्वर के पास समराथल आया। उसने जब गुरु महाराज के क्रिया- कलाप देखे,तब वह यह जानकर बड़ा प्रभावित हुआ कि बिना वेद शास्त्र पढ़े,कोई कैसे ऐसी विवेक पूर्ण बातें बतला सकता है। उस योगी ने जब जांभोजी से इन बातों का रहस्य जानना चाहा, तब गुरु महाराज ने उसे यह शब्द कहा:- *काया कोट पवंण कुट वाली कुकरम* *कुलफ बणायौ* हे जिज्ञासु जोगी! यह मानव शरीर एक…