शब्द 83

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *जो नर घोडे चढै पाघ न बांधै* एक बार समराथल धोरे पर विराजमान जाम्भोजी से संत मंडली के लोगों ने योग तथा ज्ञान के विषय में जानने की जिज्ञासा प्रकट की। गुरु महाराज ने अत्यंत प्रसन्न भाव से समझाया कि शुभ कर्म करने तथा हरीभजन से जब मनुष्य का काम, क्रोध एवं अहंकार नष्ट होता है तभी उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है।इसी संदर्भ में श्री जंभेश्वर महाराज ने यह शब्द कहा:- *जोर नर घोड़े चढ़े पाग न बांधे…

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शब्द 84

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *मूंड मुंडायो,मन न मुंडायो* समराथल धोरे पर संत मंडली के साथ बैठे एक सन्यासी ने गुरु जंभेश्वर महाराज से कहा कि उसने अपनी दाढ़ी मूंछ एवं सिर मुंडवा लिया है। सिर मुंडाने के बाद हर व्यक्ति योगी हो जाता है,तब उसे और क्या कुछ करने की आवश्यकता रह गई है? सन्यासी की बात सुन, गुरु महाराज ने यह शब्द कहा:- *मूंड मुंडायौ मन न मुंडायो मोह अबखल दिल लोभी* हे साधु ! तुमने मूँड तो मुँडाया परन्तु अपने मन…

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तारणहार थला सिर आयो जे कोई तरै सो तरियो जीवनै

तारणहार थला सिर आयो जे कोई तरै सो तरियो जीवनै। जे जीवड़ा को भलपण चाहो सेवा विष्णु की करियो जीवनै। मिनखा देही पड़े पुराणी भले न लाभे पुरियो जीवनै। अडसठ तीरथ एक सुभ्यागत घर आये आदरियो जीवनै। देवजी री आस विष्णुजी री संपत कुड़ी मेर न करियो जीवनै। रावा सूं रंक रंके राजिंदर हस्ती करे गाडरियो जीवनै। उजड़वाला बसे उजाड़ा शहर करै दोय घरियो जीवनै| रीता छाले छाला रीतावै समन्द करै छीलरियो जीवनै। पाणी सूं घृत कुडीसु कुरड़ा सोघीता बजरियो…

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आवो मिलो जुमलै जुलो

आवो मिलो जुमलै जुलो, सिंवरो सिरजणहर। सतगुरू सतपंथ चालिया,खरतर खाण्डे धार। जम्भेश्वर जिभिया जपो, भीतर छोड़ विकार। सम्पत्ति सिरजणहर की, विधिसूं सुणों विचार। अवसर ढील न कीजिए, भले न लाभे वार। जमराजा वासे बह तलबी कियो तैयार। चहरी वस्तु न चाखियो उर पर तज अहंकार। बाड़े हूतां बीछड़या जारी सतगुरू करसी सार। सेरी सिवरण प्राणियां अन्तर बड़ो आधार। पर निंदा पापां सिरे भूल उठाये भार। परलै होसी पाप सूं मूरख सहसी मार। पाछे ही पछतावसी पापां तणी पहार। ओगण गारो…

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शब्द 85

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *भोम भली कृषाण भी भला* गाँव जेतसर का जोधा नाम का एक जाट था। उसने कभी कोई शुभ कर्म नहीं किया, परंतु एक बार गर्मी के मौसम में उसने भूखे प्यासे कई साधु जनों को देखा। वह उन्हें अपने घर ले गया। जोधा ने साधुओं की अच्छी प्रकार सेवा टहल की, ठंडा पानी पिलाया ,अच्छा खाना खिलाया, ठंडी छाया, आराम करवाया। केवल एक दिन के साधु सत्कार से,उसके पूर्व जन्मों के सारे पाप नष्ट हो गये। उसका जीवन धर्ममय…

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शब्द 86

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *जुग जागो,जुग जाग पिरांणी* एक समय समराथल पर विराजमान संत मंडली ने गुरु जंभेश्वर महाराज से प्रार्थना की कि वे उन्हें ऐसा ज्ञानोपदेश दें ताकि उनके ज्ञानचक्षु खुल जावें और वे मृत्यु भय से मुक्त होकर इस संसार सागर से पार जा सके। भक्तों की जिज्ञासा जान गुरु महाराज ने यह शब्द कहा:- *जुग जागो जूग जाग पिंराणी कांय* *जागंता सोवो* हे प्राणी!यह जागने की घड़ी है। देखो सारा जुग जाग रहा है। इस कली काल में जब और…

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शब्द 87

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *जा का उंमग्या स माघूं* एक समय बीकानेर के राव लूणकरण ने युद्ध भूमि में अपनी जीत हार के विषय में प्रश्न पूछा।गुरु जंभेश्वर भगवान ने उसे यह समझाते हुए कि संसार को लड़ाई में जीतने में कुछ प्राप्त नहीं होता। सच्चा वीर वही है,जिसने अपने मन को जीत लिया है। मन को जीतने वाला अमरलोक का स्वामी बनता है। इसी भाव को स्पष्ट करते हुए गुरु महाराज ने राव लूणकरण के प्रति यह शब्द कहा:- *जांका उमंग्या समाधुं…

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श्री गुरु जम्भेश्वर मंदिर मंगाली

Sandeep Ji Dhayal (Sarpanch): श्री गुरु जम्भेश्वर मंदिर मंगाली 1. बिन ब्याही गाय से दूध, बिन बादल बरसात करते जम्भ गुरु चमत्कारी है । 2. इन्ही की कृपा से मंदिर मंगाली बना-बना बड़ा ही मनोहारी है। 3. एक तरफ बाबा की कुटिया, दूसरी तरफ पंचायत घर, बीच में सुंदर सी फुलवारी है । 4. इसके निर्माण में लगे समिति जिसके बदरी जी धायल प्रभारी है । 5. लेखा-जोखा अप टू डेट करते अनिल भाम्भू कोषाधिकारी है । 6. इन्हीं का…

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